जिम्मेदार पदों पर काबिज लोगों के राजनीति से दूर रहने हिदायत

Last Updated 12 Dec 2024 01:36:32 PM IST

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर कुमार यादव (Shekhar Kumar Yadav) के कथित भाषण पर संज्ञान लिया है। हाई कोर्ट से जानकारियां मंगवाई हैं।


जस्टिस यादव विश्व हिन्दू परिषद के कार्यक्रम में कहा हिन्दुस्तान बहुसंख्यकों की इच्छानुसार चलेगा। कठमुल्ला शब्द को गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि वह देश के लिए बुरा है। वे जनता को भड़काने वाले लोग हैं।

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर उन्होंने कहा कि यह देश भारत है, यहां रहने वाले भारतीय हैं। एक देश और एक संविधान है, तो कानून एक क्यों नहीं। मुसलमानों का नाम लिए बगैर ही कहा कि देश में हलाला, तीन तलाक और चार शादियां नहीं चलने वाली।

हालांकि बाद में सफाई दी कि उनका बयान तोड़-मोड़ कर चलाया गया परंतु तकरीबन चौंतीस मिनट के भाषण में मुस्लिम पर्सनल लॉ की जम कर आलोचना की। जज के पद पर बैठे शख्स से उम्मीद की जाती है कि अपने विचारों और बर्ताव से समाज को एकजुटता और विश्वास बढाने का काम करेगा। व्यक्तिगत राय या पसंद-नापसंद सार्वजनिक रूप से रखने में परहेज किया जाना चाहिए। न्यायाधीश सिर्फ न्याय की बात ही कर सकता है।

उससे उम्मीद की जाती है कि वह पूर्वाग्रहों और वैमनस्यता फैलाने वाले विचारों से खुद को मुक्त रखे। मगर लाजिमी है कि न्याय की कुर्सी पर बैठा शख्स भी इसी समाज का हिस्सा है। जिस तरह सत्ता पक्ष विपक्षियों और विरोधी विचारधाराओं वालों को हाशिए में ढकेलता है, उसे देख लाभ के लोभ में संवैधानिक पदों पर बैठे लोग सरकार के सुर में सुर मिला कर अपना भविष्य संवारने की जुगत में शामिल हो जाते हैं।

पूर्व न्यायाधीशों को मिलने वाले विभिन्न संवैधानिक या सरकारी पद आकषर्ण के  केंद्र बनते हैं। राजनीतिक दल पक्षपात करते हुए उन्हें चुनावी टिकट देते हैं और उनके विवादित होने का लाभ लेने का भरपूर प्रयास करते हैं।

विपक्षी दल उन्हें हटाने और सख्त कार्रवाई की बात कर रहे हैं तो सत्ता पक्ष उनके बचाव में तरह-तरह की दलील दे रहा है। निष्पक्षता और सहिष्णुता को लेकर कहीं कोई बात नहीं हो रही। हालांकि सबसे बड़ी अदालत ने खुद आगे बढ़ कर मामले में हस्तक्षेप कर इस विवादित मामले के छींटे न्याय व्यवस्था पर पड़ने से बचाने का काम फौरन ही किया। जिम्मेदार पदों पर काबिज लोगों के राजनीति से दूर रहने हिदायत के अलावा इनके राजनीतिक पार्टियों में शामिल होने पर भी रोक होनी चाहिए।



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