SM Krishna Passed Away: निर्दलीय विधायक से विदेश मंत्री तक रहे एसएम कृष्णा का निधन, देखें राजनीतिक सफर

Last Updated 10 Dec 2024 10:01:46 AM IST

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र के पूर्व गवर्नर और केंद्र की यूपीए सरकार में विदेश मंत्री रह चुके सोमनहल्ली मल्लैया कृष्णा उर्फ एसएम कृष्णा ने ग्लोबली भी खुद को बखूबी साबित किया।


विदेशी मामलों को बड़े अदब से हैंडल करते थे। बेंगलुरू को आईटी और टेक हब के तौर पर स्थापित करने का श्रेय भी उन्हें जाता है।

तूती तो विदेशों में भी खूब बोली। वहां की राजनीति में इस कदर रुचि ली कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के चुनाव प्रचार का हिस्सा रहे। पद्म विभूषण से सम्मानित एसएम कृष्णा की गिनती कांग्रेस के दिग्गजों में होती थी, लेकिन वो अपने जीवन के आखिरी कुछ वर्ष विचारधारा का हवाला देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। वहीं, जनवरी 2023 में उन्होंने सक्रिय राजनीति में नहीं होने की घोेषणा की थी।

बेंगलुरू को वैश्विक पटल पर खास जगह दिलाने का श्रेय भी एसएम कृष्णा को जाता है। सिलिकॉन सिटी बनाया और जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे, तब बेंगलुरू के पहले फ्लाईओवर का उद्घाटन भी किया गया था। इतना ही नहीं आईटी तथा बीटी क्षेत्रों को शहर में अपनी कंपनियां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु विशेष सुविधाएं प्रदान की गई थीं।

हालांकि बेंगलुरू को लेकर उनकी प्रगतिशील सोच के कारण कई विरोध भी झेले। कहा गया कि वो महज राजधानी बेंगलुरू के ही सीएम है। ग्रामीण कर्नाटक की तरक्की पर ध्यान नहीं देते हैं।

1 मई 1932 को जन्मे एसएम कृष्णा मैसूर के महाराजा कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। उसके बाद गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। कानून की डिग्री लेने के बाद वो अमेरिका चले गए और दक्षिणी मेथोडिस्ट विश्वविद्यालय, डलास, यू.एस.ए. और बाद में जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में भी अध्ययन किया।

स्वदेश लौटने के बाद बेंगलुरु के रेणुकाचार्य लॉ कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रोफेसर के रूप कार्यरत रहे। 1960 के करीब उन्होंने देश की राजनीति में अपनी शुरुआत कर दी थी। देश के पहले आम चुनाव 1962 में वो मद्दुर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कर्नाटक विधानसभा पहुंचे। इसके बाद वो प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गए। दो वर्ष बाद 19 अप्रैल 1964 में उनका विवाह हुआ।

1968 में एसएम कृष्णा ने मांड्या लोकसभा सीट का उपचुनाव जीता। बाद में वो विधानसभा के लिए चुने गए और वाणिज्य, उद्योग और संसदीय मामलों के मंत्री बने। 1972 से 1977 तक यह पद संभालने के बाद उन्होंने 1980 में फिर लोकसभा में वापसी की। 1983-84 के दौरान उन्हें उद्योग राज्य मंत्री और 1984-85 के दौरान उन्हें वित्त राज्य मंत्री बनाया गया था। 1989 से 1992 तक कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष और फिर 1992 में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री बने। 1996 में वे राज्यसभा के लिए चुने गए और अक्टूबर 1999 तक इसके सदस्य रहे। 1999 से 2004 तक उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री का पद संभाला। कर्नाटक के इतिहास में वो अब तक के सबसे शिक्षित मुख्यमंत्रियों में से एक रहे।

6 दिसंबर 2004 में उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। 22 मई 2009 को उन्हें मनमोहन सिंह के केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया गया था और 23 मई 2009 को उन्हें विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। 2009 से 2012 तक उन्होंने भारत की विदेश नीति को नया आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाई। पूरे जीवन कांग्रेस के राजनीतिक दिग्गजों में गिने जाने वाले एसएम कृष्णा 2017 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। 2023 में सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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