कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर जताया अफसोस, कमला हैरिस के प्रति जताई सहानुभूति

Last Updated 07 Nov 2024 09:53:24 AM IST

कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर अफसोस जताया है। साथ ही उन्होंने ट्रंप को पतित व्यक्ति बताते हुए चुनाव हारने वाली भारतीय मूल की उम्मीदवार कमला हैरिस (Kamala Harris) के प्रति सहानुभूति दिखाई है।


कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर

मणिशंकर अय्यर ने कहा, “मुझे यह बात बहुत अफसोसजनक लगती है कि ऐसे व्यक्ति, जिन्हें अमेरिका की अदालत ने ही गंभीर अपराधी बताया है, जिनके बारे में इतिहास में यह लिखा गया है कि वह वेश्याओं के पास जाकर उन्हें पैसे देते थे ताकि वह अपना मुंह बंद रखें, उसे अमेरिका का राष्ट्रपति चुना गया है।

कमला हैरिस जीततीं, तो...

इस तरह के व्यक्ति को इतने बड़े पद पर देखना दुखद है। मुझे इस पर भी अफसोस है कि कमला हैरिस नहीं जीतीं। यदि कमला हैरिस जीततीं, तो वह अमेरिका की पहली महिला और भारत से संबंध रखने वाली पहली राष्ट्रपति बन सकती थीं। यह एक ऐतिहासिक और सकारात्मक कदम होता।”

ट्रंप एक नेक इंसान नहीं

उन्होंने आगे कहा, “निजी तौर पर, मैं मानता हूं कि डोनाल्ड ट्रंप एक नेक इंसान नहीं हैं। अगर आप मुझसे पूछें कि इसका हमारी राजनीति पर क्या असर पड़ेगा, तो मैं कहूंगा कि अगर आप उनके और कमला हैरिस के चरित्र को देखें, तो कोई शक नहीं कि गलत व्यक्ति को चुना गया है। यह मेरी व्यक्तिगत राय है।”

इसके बाद उन्होंने इसी महीने शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से जुड़े विधेयक पास किए जाने की अटकलों पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी।

कांग्रेस नेता ने कहा, “मैं इन मुद्दों को बहुत गहराई से नहीं देख रहा क्योंकि मैं संसद का सदस्य नहीं हूं और मेरी पार्टी ने मुझे एक तरफ कर दिया है। मुझे इन बारीकियों में कोई खास दिलचस्पी नहीं है।" उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार यह दिखाना चाहती है कि वे बिना उनकी सहमति के जो चाहे बदल सकते हैं। यह गलत होगा।

उन्होंने कहा, "यह इसलिए गलत है क्योंकि बदलाव का प्रस्ताव उनके हित में होना चाहिए और उनकी सहमति के साथ होना चाहिए।"

वक्फ विधेयक पर JPC अध्यक्ष जगदंबिका पाल से नाराजगी

उन्होंने कहा कि मीडिया के जरिये उन्हें पता चला है कि वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को जिस तरह से समिति को चलाना चाहिए था, शायद वैसा नहीं हो रहा है। विपक्ष के कई नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिलकर इस बारे में शिकायत की है। उन्होंने कहा, "हमें देखना होगा कि बिरला साहब इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।”

'वन नेशन, वन इलेक्शन' गलत

उन्होंने आगे कहा, “जहां तक ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की बात है, तो मैं इसे पूरी तरह से गलत मानता हूं। इस देश की एकता उसकी विविधताओं में ही है। आरएसएस और संघ परिवार के लोग हमेशा यही कोशिश करते हैं कि विविधता को कम कर एक हिंदू पहचान पर देश की एकता बनाई जाए। मैं विशेष रूप से दक्षिण भारत से हूं, और मुझे यह बिल्कुल नहीं लगता कि हमें हर मामले में एक ही मॉडल अपनाना चाहिए, खासकर वह जो उत्तर भारत में अपनाया गया है।"

पूरे देश में एक ही चुनाव होना चाहिए

कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा तमिलनाडु में एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत सकी है, और केरल में भी उसके पास सिर्फ एक सीट है। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की बात पर "मैं यह समझता हूं कि यह भी एक बेवकूफी है"। उन्होंने कहा कि हर राज्य के विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी जाते हैं और वोट मांगते हैं, लेकिन वह तो उन राज्यों के नहीं हैं। अगर उन्हें काम करना है, तो वह दिल्ली में बैठकर काम कर सकते हैं। राज्यों में चुनाव अलग-अलग होते हैं, और हर राज्य की राजनीतिक स्थिति भी अलग होती है। तो हमें क्यों यह कहना चाहिए कि पूरे देश में एक ही चुनाव होना चाहिए?

उन्होंने कहा, “इतने साल से, 1947 से लेकर अब तक, हमारे जितने भी प्रधानमंत्री रहे हैं, उन्होंने अपने कार्य किए हैं, और जो अलग-अलग चुनाव होते हैं, उन्हें भी सही तरीके से संभाला है। तो मुझे यह समझ में नहीं आता कि एक देश होने के बावजूद हमें एक ही चुनाव क्यों करना चाहिए। हर राज्य की अपनी विशेषताएं हैं और उनके अनुसार चुनाव होने चाहिए।”

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता सही कदम

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने पर उन्होंने कहा, “उत्तराखंड में उन्होंने एक राज्य में यह कदम उठा लिया है। मुझे यह नहीं पता कि वहां के अल्पसंख्यकों की राय क्या है, लेकिन हो सकता है कि वहां अल्पसंख्यकों की आबादी बहुत कम हो। जहां तक मेरी जानकारी है, अल्पसंख्यक मुख्य रूप से देहरादून, हरिद्वार, और ऋषिकेश जैसे मैदानी क्षेत्रों में रहते हैं, जबकि पहाड़ी इलाकों में उनकी संख्या बहुत कम है। इसलिए, जो कदम वहां उठाया गया है, वह शायद उस स्थिति के हिसाब से ठीक हो, लेकिन इसे पूरे देश के लिए एक मॉडल के रूप में लागू करना गलत होगा।”

आईएएनएस
नई दिल्ली


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