लोक सेवकों पर मुकदमे के लिए मंजूरी जरूरी : सुप्रीम कोर्ट

Last Updated 07 Nov 2024 06:52:33 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर्तव्य निर्वहन के दौरान धन शोधन करने के आरोपी लोक सेवकों के विरुद्ध मुकदमा चलाने से पहले पूर्व मंजूरी लेने की जरूरत है।


सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।

हाईकोर्ट के फैसले में, दो आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारियों के खिलाफ एजेंसी की शिकायत (आरोपपत्र) के संज्ञान आदेश को रद्द कर दिया गया था।

तेलंगाना हाईकोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार के दो वरिष्ठ नौकरशाहों के खिलाफ धन शोधन के आरोपों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अभियोजन शिकायत पर संज्ञान लेने वाले अधीनस्थ अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था।

पीठ ने न्यायाधीशों और लोक सेवकों के अभियोजन से संबंधित दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 197(1) (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 218 के समान) का उल्लेख किया।

पीठ ने कहा, ‘‘धारा 197 (1) में कहा गया है कि जब कोई व्यक्ति, जो न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट या लोक सेवक है या था, जिसे सरकार की मंजूरी के बिना उसके पद से हटाया नहीं जा सकता, उस पर किसी ऐसे अपराध का आरोप लगाया जाता है जो उसके द्वारा अपने कर्तव्य निर्वहन के दौरान किया गया है, तो कोई भी न्यायालय पूर्व मंजूरी के बिना ऐसे अपराध का संज्ञान नहीं लेगा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 197 (1) का उद्देश्य लोक सेवकों को अभियोजन से बचाना है और यह सुनिश्चित करता है कि उनके कर्तव्यों के निर्वहन में उनके द्वारा की गई किसी भी गलती के लिए उन पर मुकदमा न चलाया जाए।

पीठ ने कहा, यह प्रावधान ईमानदार और निष्ठावान अधिकारियों की रक्षा के लिए है।

समय डिजिटल डेस्क
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment