भारत ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के उन बयानों पर कड़ा ऐतराज जताया जिसमें उन्होंने नई दिल्ली पर कश्मीर में "तनाव बढ़ाने" का आरोप लगाया था।
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भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि दुनियाभर में आतंकवादी घटनाओं में उसका ‘‘हाथ रहा’’ है और पड़ोसी देश को यह पता होना चाहिए कि भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद के ‘‘परिणाम अनिवार्य रूप से भुगतने पड़ेंगे।’’
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र की आम बहस में अपने संबोधन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने जाने की प्रतिक्रिया में अपने ‘जवाब देने के अधिकार’ का शुक्रवार को इस्तेमाल किया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव भाविका मंगलानंदन ने भारत के जवाब देने के अधिकार के तहत कहा, ‘‘इस महासभा ने आज सुबह खेदजनक रूप से एक हास्यास्पद घटना देखी। आतंकवाद, मादक पदार्थ के कारोबार और अंतरराष्ट्रीय अपराध के लिए दुनियाभर में पहचाने जाने वाले एवं सेना द्वारा संचालित एक देश ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र पर हमला करने का दुस्साहस किया।’’
उन्होंने कहा कि जैसा कि दुनिया जानती है कि पाकिस्तान अपने पड़ोसियों के खिलाफ हथियार के तौर पर सीमा पार आतंकवाद का लंबे समय से इस्तेमाल करता रहा है।
उन्होंने पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों द्वारा भारतीय संसद पर 2001 के हमले और मुंबई के 26/11 आतंकी हमलों के संदर्भ में कहा, ‘‘उसने हमारी संसद, हमारी वित्तीय राजधानी मुंबई, बाजार तथा तीर्थस्थलों पर हमला किया है।’’
मंगलानंदन ने कहा, ‘‘सूची लंबी है। ऐसे देश का हिंसा के बारे में कहीं भी बोलना पूरी तरह पाखंड है।’’
शरीफ ने अपने संबोधन में अपेक्षा के मुताबिक कश्मीर मुद्दा उठाया और कहा था कि ‘‘स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए’’ भारत को अनुच्छेद 370 को बहाल करना होगा और जम्मू-कश्मीर के मुद्दे के ‘‘शांतिपूर्ण’’ समाधान के लिए बातचीत शुरू करनी होगी।
उन्होंने कहा कि भारत ने आपसी ‘‘सामरिक व्यवस्था’’ के उनके देश के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है।
‘‘सामरिक व्यवस्था के किसी प्रस्ताव’’ के संदर्भ में जवाब देते हुए भारत ने कहा कि ‘‘आतंकवाद के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता। बल्कि पाकिस्तान को भी यह पता होना चाहिए कि भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद के अनिवार्य रूप से परिणाम भुगतने पड़ेंगे।’’
मंगलानंदन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को याद दिलाया कि यह वही देश है जिसने लंबे समय तक अल-कायदा नेता ओसामा बिन लादेन को पनाह दी थी। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में कई आतंकवादी घटनाओं में पाकिस्तान का ‘‘हाथ’’ है।
भारतीय अधिकारी ने कहा, ‘‘शायद इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि उसके (पाकिस्तान के) प्रधानमंत्री इस प्रतिष्ठित सभागार में ऐसा बोलेंगे। फिर भी हमें यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनके शब्द हम सभी के लिए कितने अस्वीकार्य हैं। हम जानते हैं कि पाकिस्तान सच्चाई का सामना और अधिक झूठ से करना चाहेगा। बार-बार झूठ बोलने से कुछ नहीं बदलेगा। हमारा रुख स्पष्ट है और उसे दोहराने की जरूरत नहीं है।’’
भारत ने जोर देकर कहा कि चुनावों में धांधली के इतिहास वाले देश के लिए एक लोकतंत्र में राजनीतिक विकल्पों के बारे में बात करना बड़ा अजीब है।
उन्होंने कहा, ‘‘असल सच्चाई यह है कि पाकिस्तान की नजर हमारे क्षेत्र पर है और वास्तव में, उसने भारत के अविभाज्य और अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर में चुनावों को बाधित करने के लिए लगातार आतंकवाद का इस्तेमाल किया है।’’
युवा भारतीय राजनयिक ने कहा कि यह हास्यास्पद है कि एक देश जिसने 1971 में नरसंहार किया था और जो अब भी अपने अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार करता है, वह “असहिष्णुता और भय के बारे में बोलने की हिमाकत करता है। दुनिया खुद देख सकती है कि पाकिस्तान की असलियत क्या है।”
इसके बाद एक पाकिस्तानी राजनयिक ने जवाब देने के अधिकार के तहत मंगलानंदन के बयान पर प्रतिक्रिया दी।
भारत के दावों को ‘‘निराधार और भ्रामक’’ बताते हुए पाकिस्तानी राजनयिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कई प्रस्तावों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय के अपने अपरिहार्य अधिकार का प्रयोग करने में सक्षम बनाने के लिए एक स्वतंत्र, निष्पक्ष जनमत संग्रह का स्पष्ट रूप से आह्वान किया है।
पाकिस्तानी नेता हर साल संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषणों में जम्मू-कश्मीर का राग अलापते हैं और भारत के युवा राजनयिक उसे करारा जवाब देते हैं।
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