भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई में बरती जा रही कोताही!
केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के संदर्भ में सरकारी विभागों द्वारा उसकी सलाह का अनुपालन नहीं करने के 34 प्रमुख मामलों को चिह्नित किया है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) |
सीवीसी की वाषिर्क रिपोर्ट 2023 के अनुसार, कुछ मामलों में इन भ्रष्ट अधिकारियों को या तो दोषमुक्त कर दिया गया या संबंधित विभागों द्वारा उनके दंड को कम कर दिया गया।
इसमें कहा गया है कि इनमें से सबसे अधिक सात मामले कोयला मंत्रालय के हैं, जबकि पांच मामले एसबीआई, चार मामले भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (IDBI), तीन मामले इस्पात मंत्रालय तथा दो-दो मामले बिजली मंत्रालय एवं एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी), रेल मंत्रालय, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई), केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद सहित अन्य में एक-एक ऐसा मामला सामने आया है।
इसमें कहा गया है कि सीवीसी की सलाह नहीं मानने का एक-एक मामला ‘सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड’, ‘इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड’ (ईसीआईएल), ‘नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड’, ‘पंजाब नेशनल बैंक’ और ‘यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड’ का भी है।
भ्रष्टाचार के मामलों पर नजर रखने वाली संस्था की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है, आयोग की सलाह नहीं मानने से सतर्कता प्रक्रिया प्रभावित होती है और सतर्कता प्रशासन की निष्पक्षता कमजोर होती है।
सीवीसी ने कोयला मंत्रालय द्वारा उसकी सलाह का पालन न करने के एक मामले का ब्यौरा देते हुए कहा कि भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) के एक परियोजना अधिकारी, एक मुख्य प्रबंधक, तीन प्रबंधकों और एक निदेशक सहित अधिकारियों को भारी मशीनरी’ को किराये पर लेने के लिए निविदा संबंधी अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार पाया गया।
आयोग ने अगस्त 2018 में बीसीसीएल के एक परियोजना अधिकारी, एक मुख्य प्रबंधक और तीन प्रबंधकों तथा मामले में शामिल अन्य अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही करने के लिए अपनी प्रथम चरण की सलाह दी थी।
अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा लगाए गए दंड से व्यथित होकर परियोजना अधिकारी, मुख्य प्रबंधक, तीन प्रबंधकों और निदेशक ने संबंधित अपीलीय प्राधिकारियों के समक्ष अपील की, जिन्होंने जून 2022 और जून 2023 के बीच जारी अपने आदेशों के माध्यम से सभी अधिकारियों को दोषमुक्त कर दिया।
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