भारत में मंकीपॉक्स का फिलहाल कोई मामला नहीं, स्थिति पर कड़ी नजर : केंद्र सरकार
केंद्र सरकार ने शनिवार को कहा कि वह मंकीपॉक्स की स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है। साथ ही बीमारी के प्रसार को रोकने और नियंत्रित करने के लिए तैयारी और सावधानी के उपाय किए जा रहे हैं।
monkey pox |
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में फिलहाल मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) का कोई मामला सामने नहीं है।
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की अध्यक्षता में स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में यह फैसला लिया गया कि अत्यधिक सावधानी के तौर पर कुछ उपाय किए जाएं।
सभी हवाई अड्डों, बंदरगाहों और ग्राउंड क्रॉसिंग पर स्वास्थ्य इकाइयों को संवेदनशील बनाने के साथ-साथ परीक्षण प्रयोगशालाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं को तैयार किया जा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित करने के मद्देनजर यह बैठक बुलाई गई थी।
विश्व स्तर पर, 2022 के बाद से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 116 देशों में मंकीपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 2022 की घोषणा के बाद से, मार्च 2024 में आखिरी मामले के साथ भारत में कुल 30 मामले पाए गए थे।
केंद्र ने कहा कि स्थिति की समीक्षा के लिए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों की एक संयुक्त निगरानी समूह की बैठक आयोजित की गई।
हालांकि आने वाले हफ्तों में बाहर से आने वाले मामलों का पता चलने की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया गया है, लेकिन यह आकलन किया गया है कि प्रकोप का जोखिम वर्तमान में भारत के लिए कम है।
स्वीडन और पाकिस्तान में एमपॉक्स के मामलों की रिपोर्ट सामने आने के बाद, संक्रामक रोग विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य अधिकारियों से भारत के प्रमुख हवाई अड्डों पर घातक संक्रामक बीमारी की जांच शुरू करने का आग्रह किया ताकि इसके प्रसार को रोकने में मदद मिल सके।
गौरतलब है कि एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जो आमतौर पर किसी के संपर्क में आने से फैलती है। अब तक कई लोगों में इस तरह का संक्रमण देखा जा चुका है। यह एक तरह से फ्लू जैसी बीमारी है। इससे शरीर में मवाद से भरे दाने भी होते हैं।
एमपॉक्स को मंकीपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है। अब तक कई देशों में यह वायरस अपना कहर दिखा चुका है। यह ऑर्थोपॉक्स वायरस जींस से संबंधित बीमारी होती है। इस बीमारी की पहचान सबसे पहले 1958 में बंदरों में हुई थी। इसके बाद यह इंसानों में फैलती चली गई।
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