Swami Vivekananda's Death Anniversary: स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर PM मोदी-शाह सहित कई नेताओं ने दी उन्हें श्रद्धांजलि

Last Updated 04 Jul 2024 10:28:41 AM IST

स्वामी विवेकानंद की आज 122वीं पुण्यतिथि है। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद की 122वीं पुण्यतिथि पर बृहस्पतिवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और एक समृद्ध व प्रगतिशील समाज के निर्माण के उनके सपने को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं स्वामी विवेकानंद को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनकी शिक्षाएं लाखों लोगों को ताकत देती हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘‘उनकी बुद्धिमत्ता और ज्ञान की अथक खोज भी बहुत प्रेरक हैं। हम एक समृद्ध और प्रगतिशील समाज के उनके सपने को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।’’

गृह मंत्री अमित शाह ने विवेकानंद को याद कर एक्स पर श्रद्धांजलि ने कहा...

 जेपी नड्डा ने पोस्ट कर किया नमन...

 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वामी विवेकानंद की 122वीं पुण्यतिथि पर गुरूवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि महान देशभक्त संत ने हमें बिना किसी विभाजन के, अपने धर्म और देश से प्रेम करना सिखाया।

ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, '"आज स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि के अवसर पर महान सन्यासी-देशभक्त को स्मरण करते हुए मेरी श्रद्धांजलि, जिन्होंने हमें विभाजन के बिना अपने धर्म और देश से प्रेम करना सिखाया।''

स्वामी विवेकानंद ने चार जुलाई 1902 को बेलूर मठ में समाधि ली थी। उन्होंने अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल की। उन्होंने पश्चिम में वेदांत दर्शन का प्रसार किया और गरीबों की सेवा के लिए रामकृष्ण मठ तथा रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।

स्वामी विवेकानंद का वास्तविक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। राजास्थान के खेतड़ी के राजा अजित सिंह ने उन्हें स्वामी विवेकानंद नाम दिया।

आध्यात्म गुरू स्वामी विवेकानंद के नाम ऐसी उपलब्धी है, जिसने पूरी दुनिया में भारत का डंका बजाया था। विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 में अमेरिका के शिकागो शहर में आयोजित धर्म संसद में भाषण दिया था। जिसकी शुरुआत उन्होंने “अमेरिकी भाई और बहनों से की थी।” अमेरिका के शिकागो शहर का ये भाषण आज भी याद किया जाता हैं।

उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए - युवाओं को दिया गया स्वामी विवेकानंद का यह मंत्र गुलामी के दिनों में जितना कारगर और प्रेरणादायी था, आज स्वतंत्र भारत में भी उतना ही प्रासंगिक है।

भाषा/समय लाइव डेस्क
नई दिल्ली


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