Lok Sabha Speaker: आम सहमति से चुने जाते रहे हैं लोकसभा अध्यक्ष

Last Updated 18 Jun 2024 07:08:05 AM IST

विपक्ष अगले सप्ताह लोकसभा अध्यक्ष के पद के लिए उम्मीदवार उतारकर यदि चुनाव की स्थिति उत्पन्न करता है तो यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार होगा, क्योंकि पीठासीन अधिकारी का चयन हमेशा आम सहमति से होता रहा है।


आम सहमति से चुने जाते रहे हैं लोकसभा अध्यक्ष

स्वतंत्रता से पहले संसद को केंद्रीय विधानसभा कहा जाता था और इसके अध्यक्ष पद के लिये पहली बार चुनाव 24 अगस्त 1925 में हुआ था जब स्वराजवादी पार्टी के उम्मीदवार विट्ठलभाई जे. पटेल ने टी. रंगाचारियर के खिलाफ यह चुनाव जीता था।

अध्यक्ष के रूप में चुने जाने वाले पहले गैर-सरकारी सदस्य पटेल ने दो वोटों के मामूली अंतर से पहला चुनाव जीता।

पटेल को 58 वोट मिले थे, जबकि रंगाचारियार को 56 वोट मिले थे। लोकसभा में अपनी बढ़ी हुई ताकत से उत्साहित विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ अब आक्रामक तरीके से उपाध्यक्ष के पद की मांग कर रहा है, जो परंपरागत रूप से विपक्षी दल के सदस्य के पास होता है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, यदि सरकार विपक्ष के नेता को उपाध्यक्ष बनाने पर सहमत नहीं होती है तो हम लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे।

शिवसेना नेता संजय राउत ने रविवार को मुंबई में कहा, ‘हमारा अनुभव है कि भाजपा उसे समर्थन देने वालों को धोखा देती है।’ जद(यू) ने लोकसभा अध्यक्ष के लिए भाजपा उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा की है, जबकि तेदेपा ने इस प्रतिष्ठित पद के लिए सर्वसम्मत उम्मीदवार का समर्थन किया है।

केन्द्रीय विधान सभा के अध्यक्ष के पद के लिए 1925 से 1946 के बीच छह बार चुनाव हुए। विट्ठलभाई पटेल अपना पहला कार्यकाल पूरा होने के बाद 20 जनवरी 1927 को सर्वसम्मति से पुन: इस पद पर निर्वाचित हुए।

महात्मा गांधी द्वारा सविनय अवज्ञा के आह्वान के बाद पटेल ने 28 अप्रैल, 1930 को पद छोड़ दिया। सर मुहम्मद याकूब (78 वोट) ने नौ जुलाई, 1930 को नंद लाल (22 वोट) के खिलाफ अध्यक्ष का चुनाव जीता। याकूब तीसरी विधानसभा के आखिरी सत्र के लिए इस पद पर रहे।

चौथी विधानसभा में सर इब्राहिम रहीमतुल्ला (76 वोट) ने हरि सिंह गौर के खिलाफ अध्यक्ष का चुनाव जीता, जिन्हें 36 वोट मिले।

स्वास्थ्य कारणों से 7 मार्च 1933 को रहीमतुल्ला ने इस्तीफा दे दिया और 14 मार्च 1933 को सर्वसम्मति से षणमुखम चेट्टी उनके स्थान पर नियुक्त हुए। सर अब्दुर रहीम को 24 जनवरी 1935 को पांचवीं विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया। रहीम को 70 वोट मिले थे, जबकि टी.ए.के. शेरवानी को 62 सदस्यों का समर्थन प्राप्त था।

भाषा
नई दिल्ली


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