प्रधानमंत्री का राम मंदिर का उद्घाटन करना 'धार्मिक भावनाओं का घोर दुरुपयोग' : येचुरी

Last Updated 29 Dec 2023 04:34:29 PM IST

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) के महासचिव सीताराम येचुरी ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अन्य संवैधानिक पदाधिकारियों की उपस्थिति में अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन करना भाजपा के राजनीतिक लाभ के लिए "धार्मिक भावनाओं का घोर दुरुपयोग" है।


मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी (फाइल फोटो)

येचुरी ने मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान स्पष्ट रूप से धर्मनिरपेक्षता को परिभाषित करता है जिसके तहत धर्म राजनीति और राज्य से अलग है।

उन्होंने कहा कि मंदिर का उद्घाटन खुले तौर पर धर्म के राजनीतिकरण को दर्शाता है, जो संविधान के सिद्धांतों के विपरीत है।

येचुरी ने कहा, "यहां, भारत के प्रधानमंत्री द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और संवैधानिक पदों पर बैठे अन्य लोगों की उपस्थिति में इस समारोह का उद्घाटन किया जाएगा। हमें लगता है कि यह उनके (भाजपा के) राजनीतिक उद्देश्य के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं का घोर दुरुपयोग है। यह धर्म का खुला राजनीतिकरण है जो संविधान या उच्चतम न्यायालय के फैसलों के अनुरूप नहीं है।’’

माकपा नेता ने कहा कि इस राजनीतिकरण का मुकाबला करने की रणनीति धर्मनिरपेक्षता का सख्ती से पालन है। उन्होंने कहा, "आप नरम हिंदुत्व या नरम भगवा दृष्टिकोण अपनाकर धार्मिक कट्टरवाद का मुकाबला नहीं कर सकते...।"

येचुरी ने अर्थव्यवस्था की कथित विफलता सहित विभिन्न मुद्दों पर भाजपा नीत केंद्र सरकार पर हमला किया।

मोबाइल फोन की निगरानी के संबंध में ऐप्पल कंपनी की अधिसूचना के मुद्दे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "यह एक निगरानी राज्य है जहां हर चीज पर नजर रखी जा रही है। यहां तक कि बातचीत पर भी।"

उन्होंने भाजपा के ''जीवंत अर्थव्यवस्था'' के दावे को खारिज कर दिया और इसे प्रचार करार दिया। उन्होंने कहा, "जहां तक लोगों की बात है, आजीविका के लिहाज से पिछले 10 साल सबसे खराब हैं। बेरोजगारी चरम पर है। यह सरकार आंकड़ों में काफी हेराफेरी कर रही है। और अब उन्होंने अवैतनिक श्रम के रोजगार के लिए नयी श्रेणी जोड़ी है।’’

उन्होंने कहा, "जहां तक उद्योग का सवाल है, घरेलू मांग की कमी के कारण यह बढ़ने में असमर्थ है। लोगों के पास पैसा या क्रय शक्ति नहीं है। ज्यादातर भारतीय लोगों के लिए, उनकी वास्तविक क्रय शक्ति घट रही है। जब कोई मांग नहीं है तो कोई भविष्य का निवेश नहीं है।’’

 

भाषा
कन्नूर


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