Delhi, NCR की हवा हुई खराब,A Q I पंहुचा 400 पार

Last Updated 04 Nov 2023 09:35:24 AM IST

पिछले कई वर्षों से ऐसा होता आ रहा रहा है कि दिवाली आने से पहले ही दिल्ली में डर लगने लगता है। इस बार भी कमोबेश वैसा ही हो रहा है। जैसी आशंका बनी हुई थी वैसा ही होने लगा है। हवा में जहरीले तत्व फिर घुलने लगे हैं।


Pollution level in Delhi

यानि हवा में शुद्धता का स्तर खराब हो रहा है। माना जा रहा है कि एनसीआर और दिल्ली में हवा और जहरीली हो सकती है। इससे तमाम बीमारियां पैदा हो सकती हैं।  दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानि AQI 500 तक पहुंच चुका है। जो बेहद ही खतरनाक है। साथ ही साथ PM10 और PM2.5 की बढ़ोतरी बेतहाशा हो रही है। दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का स्तर AQI यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार 400 के पार चला गया है। हालांकि इसके और ऊपर जाने की आशंका जताई जा रही है। पिछले साल दीवाली के आसपास ये लेवल 900 तक पहुंच गया था, जो बहुत ही खतरनाक माना जाता है. दिल्ली के अलग अलग इलाकों में AQI मापने के यंत्र लगे हुए हैं। आगे बढ़ने से पहले आइए जानते हैं कि क्या होता है AQI, कैसे करता है काम? देश में AQI को स्तर और रीडिंग के हिसाब से 06 कैटेगरी में बांटा गया है.– 0-50 के बीच AQI का मतलब अच्छा यानि वायु शुद्ध है– 51-100 के बीच मतलब वायु की शुद्धता संतोषजनक– 101-200 के बीच ‘मध्यम– 201-300 के बीच ‘खराब’– 301-400 के बीच बेहद खराब– 401 से 500 के बीच गंभीर श्रेणी। आजकल पीएम 2.5 और पीएम 10 खूब सुनने को मिलता है।

आइए जानते हैं इन दोनों के बारे में। पीएम 10: पीएम 10 को पर्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास होता है। इसमें धूल, गर्दा और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं। पीएम 10 और 2.5 धूल, कंस्‍ट्रक्‍शन और कूड़ा व पराली जलाने से ज्यादा बढ़ता है। पीएम 2.5: पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है। इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है। विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है।

ये मैटर शरीर में घुसकर सबसे ज्यादा नुकसान फेफड़ों को पहुंचाते हैं। इनसे फेफड़ों की बाहरी सतह क्षतिग्रस्त होती है। फेफड़े कमजोर होते जाते हैं और श्वसन रोग से जुड़ी कई समस्या हो सकती हैं। इससे कोविड का खतरा भी रहता है। पार्टिकुलेट मैटर हमारे खून में भी घुल सकता है और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, दिल की बीमारियों का कारण बन सकते हैं। बाहरी लक्षणों में इसमें नाक, आंख में खुजली, दर्द और छींके आने जैसी समस्याएं आ सकती हैं। लगातार ऐसी स्थिति बने रहने पर इंसान किसी क्रोनिक बीमारी का शिकार भी हो सकता है।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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