सुप्रीम कोर्ट का महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश, 31 दिसंबर तक शिवसेना व अगले साल 31 जनवरी तक एनसीपी में दलबदल की याचिकाओं पर करें फैसला

Last Updated 30 Oct 2023 02:40:41 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया कि 31 दिसंबर तक शिवसेना व अगले साल 31 जनवरी तक एनसीपी में दलबदल की याचिकाओं पर फैसला करें।


Supreem Court

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने शिवसेना विधायकों और राकांपा विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही में महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा शीघ्र निर्णय लेने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने तीन न्यायाधीशों की पीठ का नेतृत्व कर रहे सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़ को अवगत कराया कि पिछली सुनवाई के अनुसार, उन्होंने महाराष्ट्र विधान सभा अध्यक्ष से बात की है। एसजी मेहता ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि दिवाली और क्रिसमस की छुट्टियों के मद्देनजर, अध्यक्ष 31 जनवरी, 2024 तक सुनवाई समाप्त करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने अदालत से जनवरी में सुनवाई सूचीबद्ध करने और प्रगति देखने का अनुरोध किया। लेकिन सीजेआई ने कहा कि अदालत चाहती है कि स्पीकर 31 दिसंबर तक कार्यवाही समाप्त कर दें।

लंबित दलबदल याचिकाओं पर निर्णय की मांग करने वाली राकांपा नेता जयंत पाटिल (शरद पवार गुट) द्वारा दायर याचिका भी सोमवार को सुनवाई के लिए शिवसेना नेता सुनील प्रभु (उद्धव ठाकरे गुट) की याचिका के साथ सूचीबद्ध की गई थी। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया है कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को एनसीपी दलबदल याचिकाओं पर अगले साल 31 जनवरी तक सुनवाई पूरी करनी चाहिए। 17 अक्टूबर को, शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के दो प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर लंबित दलबदल याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए एक यथार्थवादी कार्यक्रम प्रदान करने का अंतिम अवसर दिया था।

सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता की दलील को स्वीकार कर लिया था, जिन्होंने अदालत को आश्वासन दिया था कि वह दशहरा की छुट्टियों के दौरान व्यक्तिगत रूप से स्पीकर के साथ बातचीत करेंगे। मेहता द्वारा समयसीमा तय करने के लिए स्पीकर से और समय मांगने के बाद सीजेआई ने स्पीकर के हालिया साक्षात्कार पर मेहता की खिंचाई की। नार्वेकर ने कहा था कि विधायिका की संप्रभुता बनाए रखना उनका कर्तव्य है और संविधान ने न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका को समान स्थान दिया है और किसी का भी दूसरे पर कोई पर्यवेक्षण नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर को शिवसेना और एनसीपी द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई और निर्णय में देरी के लिए नार्वेकर को कड़ी फटकार लगाई।

 

आईएएनएस
नई दिल्ली


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