मायावती का आगामी लोकसभा का चुनाव अकेले लड़ना, कैसे होगा एक राजनैतिक आत्मघाती कदम !

Last Updated 06 Sep 2023 03:42:33 PM IST

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमों मायावती कुछ-कुछ दिन के अंतराल पर मीडिया के सामने आती ही रहती हैं, और अपने बयान से अन्य दलों को कुछ न कुछ सोचने का मौका दे देती हैं। मीडिया के समक्ष आने से पहले देश के सभी दलों के नेता, इस उम्मीद में रहते हैं कि शायद मायावती किसी न किसी गठबंधन में जाने का एलान कर दें, लेकिन हर बार वह एक शिगूफा छोड़कर चली जाती हैं।


BSP Chief Mayawati

इस समय देश की लगभग हर छोटी-बड़ी पार्टी दो गठबंधनों में शामिल हो चुकी हैं। कुछ एनडीए के साथ हैं, तो कुछ I.N.D.I.A गठबंधन के साथ हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्र के मुताबिक़ मायावती आखिर में I.N.D.I.A  गठबंधन के साथ ही जायेंगी। राजनैतिक सूत्रों के मुताबिक़ मायावती ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में 30 सीटों की मांग रखी है। अगर सूत्रों की बात पर यकीन करें तो, मायावती बीच-बीच में मीडिया के सामने आकर इसलिए कुछ न कुछ बयान देती हैं ताकि उनकी उपस्थिति दर्ज होती रहे और दोनों गठबंधनों पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा सके। लेकिन यह तय है कि आगामी लोकसभा चुनाव में अगर वह अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करती हैं तो राजनैतिक दृष्टिकोण से वह आत्मघाती कदम होगा।

मंगलवार को मायावती का मीडिया के सामने आने की सुचना मिलने के बाद राजनैतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोर-शोर से हो रही थी कि आखिर मायावती क्या कहने वाली हैं। बसपा के कुछ नेताओं ने भी ट्वीट के माध्यम से मायावती की मीडिया से मुखातिब होने वाली सुचना दे दी थी। बसपा के नेताओं और उनके प्रवक्ताओं के माध्यम से मीडिया से बात करने की जो जानकारी दी गई थी, शायद वह भी किसी न किसी रणनीति का हिस्सा था। हालांकि रणनीति किस बात को लेकर थी, इसकी जानकारी ना तो मीडिया से मुखातिब होने के पहले किसी को थी और ना ही मीडिया से बात करने के बाद किसी को हो पायी।

 मायावती ने अपने बयान में इण्डिया और भारत शब्द को लेकर दोनों गठबंधनों यानि इण्डिया और एनडीए पर मिली जुली करने का आरोप लगाया। उनके मुताबिक़ दोनों गठबंधनों ने जानबूझकर इण्डिया और भारत जैसे शब्दों का अपमान किया है। मायावती ने इस दौरान बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने इन दोनों शब्दों की महत्ता को समझा था। संविधान में इन दोनों शब्दों का जिक्र है। ऐसे में इन दोनों गठबंधनों ने बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर की भावनाओं का भी अपमान किया है। मायावती यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से निवेदन कर दिया है कि वह खुद ही संज्ञान लेकर इन दोनों गठबंधनों के खिलाफ कुछ आदेश जारी करे ताकि भविष्य में कोई भी देश से जुड़े हुए शब्दों के नाम पर अपने दल या किसी गठबंधन का नाम ना रख सके।

मायावती ने मंगलवार को जो कुछ भी कहा, उसका सही मायनों में बहुत ज्यादा कोई मतलब है नहीं। उन्हें अच्छी तरह से पता है कि हमारे देश में इण्डिया के नाम से बहुत कुछ है। इण्डिया के नाम से कई सरकारी शिक्षण संस्थान हैं ,कई प्राइवेट संस्थान हैं, यहाँ तक कई मीडिया संस्थानों के नामों में इण्डिया शब्द का इस्तेमाल हुआ है। ऐसे में मायवती ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह करके जो कार्यवाई करने की बात की है। उसका कोई ख़ास असर होता हुआ दिखाई देगा नहीं। दूसरी तरफ मायावती को यह भी पता है कि विपक्षी दलों में दर्जनों ऐसे नेता हैं, जो काफी पढ़े लिखे हैं। कई नेता ऐसे हैं, जो कानून के जानकार हैं।

 इण्डिया गठबंधन के दर्जनों नेता ऐसे हैं, जो संविधान के भी अच्छे जानकार हैं। अपने गठबंधन का नाम इण्डिया रखने के पहले सभी दलों के नेताओं ने इस नाम को लेकर सारे कानूनी और संवैधानिक पहलुओं को अच्छी तरह से समझा होगा। इण्डिया गठबंधन में शामिल किसी एक दल, यहाँ तक कि सिर्फ कांग्रेस के कहने से इसका नाम नहीं रखा गया होगा। ऐसे में मायावती ने इंडिया गठबंधन को लेकर जो आरोप लगाया है, वो सिर्फ और सिर्फ नाहक की पब्लिसिटी के लिए फेंका गया एक पाशा भर है। इस पाशे के जरिए मायावती दोनों गठबंधनों को शायद यही बताने की कोशिश कर रही होंगी की उनके तरफ से क्या प्रतिक्रिया आएगी।

मायावती भले ही कह चुकी हैं कि  आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी। किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी, लेकिन हकीकत इससे परे है। मायावती अच्छी तरह जानती हैं कि  आगामी लोकसभा चुनाव में अगर उनकी पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी तो कितना नुकसान हो सकता है। 2019 में भले ही बसपा के 10 प्रत्याशी चुनाव जीत गए थे, लेकिन 2024 में बसपा अगर अकेले चुनाव लड़ती है तो शायद उसके एक भी प्रत्याशी चुनाव न जीत पाएं। वैसे भी 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में बहुत बड़ा अंतर है।

यह तय है कि 2024 लोकसभा चुनाव में देश का अधिकांश वोटर या तो इण्डिया गठबंधन के साथ खड़ा होगा या फिर एनडीए गठबंधन के साथ। लोग यही समझ रहे होंगे कि मायावती शायद किसी गलतफहमी में हैं, लेकिन ऐसा है नहीं। वो किसी गलतफहमी में नहीं हैं। मायावती एक समझदार और अनुभवी नेता हैं, उन्हें अच्छी तरह से पता है कि उन्हें किसी न किसी गठबंधन में जाना ही होगा। शायद ऐसा वक्तव्य देकर वो अपना भाव बढ़ाने की कोशिशों में लगी हुईं हैं। ताकि वो जिस भी गठबंधन में जाएं उन्हें अधिक से अधिक सीटें मिल सके। लेकिन, जैसा कि वो पिछले कई महीनों से कहते आ रही हैं कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा का चुनाव अकेले ही लड़ेगी, अगर वो ऐसा करती हैं तो राजनैतिक रुप से एक आत्मघाती कदम होगा।

 

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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