गुजरात मॉडल से MP का किला बचा पाएगी बीजेपी ?
मध्यप्रदेश विधान सभा चुनाव को लेकर बीजेपी इस बार कोई ऐसी गलती नहीं करना चाहती, जिससे कि 2018 वाली स्थिति उत्पन्न हो। लिहाजा बीजेपी इस बार मध्यप्रदेश में भी गुजरात की तर्ज पर टिकटों का बंटवारा करने जा रही है।
![]() Bhupendra Yadav, Shivraj Singh Chauhan |
मतलब बीजेपी इस बार तीन दर्जन से ज्यादा सिटिंग विधयाकों के टिकट काटकर नए लोगों को टिकट देने की तैयारी कर चुकी है। गुजरात विधानसभा 2022 के चुनाव में बीजेपी ने 38 मौजूदा विधायकों का टिकट काटकर जब नए लोगों को टिकट दिया था, तब कुछ पुराने विधायकों ने विरोध करने का मन बनाया था। बावजूद इसके पॉर्टी अपने निर्णयों पर डटी रही। नतीजा यह रहा कि जब चुनाव परिणाम आया तो बीजेपी का सबसे बढ़िया प्रदर्शन रहा।
उसी प्रयोग को आजमाने के लिए मध्यप्रदेश में भी सिटिंग विधायकों के टिकट काटकर नए लोगों को टिकट देने की योजना बना ली गई। 2018 के चुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत ज्यादा था। उसे 41 प्रतिशत वोटें मिलीं थीं, जबकि उसे 109 सीटें मिलीं थीं। वहीं कांग्रेस को 40.09 प्रतिशत वोट मिले थे। लेकिन उसने 115 सीटें जीतीं थीं। कांग्रेस को बसपा के विधायकों ने भी समर्थन कर दिया था। इस तरह 230 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस की सरकार बन गई थी।
लगातार तीन बार से मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे शिवराज सिंह चौहान को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी। हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से महज डेढ़ साल के बाद एक बार फिर बीजेपी की सरकार बन गई थी। 2018 वाली स्थिति दुबारा उत्पन्न ना हो इसलिए वहां के चुनाव की बागडोर भूपेंद्र यादव ने संभाल रखी है। भूपेंद्र यादव पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बेहद करीबी माने जाते जाते हैं। यानी यूँ कहें कि मध्यप्रदेश चुनाव की बागडोर सीधे-सीधे पार्टी हाईकमान की हाथों में है।
पिछले लगभग 15-20 वर्षों में ऐसा पहली बार हो रहा है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर इस बार पार्टी ने कोई खुलासा नहीं किया है, जबकि पिछले तीन-चार चूनावों में यह तय माना गया था कि अगर बीजेपी की सरकार बनेगी तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही होंगे। मध्य प्रदेश के लिए बीजेपी ने जो रणनीति बनाई है, उसके मुताबिक तीन दर्जन से ज्यादा ऐसे विधायक हैं जिनके टिकट काटने की तैयारी कर ली गई है। पार्टी उनकी जगह पर नए और जुझारू कार्यकर्ताओं को टिकट देने का मन बना चुकी है। साथ ही साथ पार्टी ने टिकट देने से पहले विधानसभा वार एक सर्वे भी कराया है।
सर्वे के दौरान सिटिंग विधायकों का रिपोर्ट कार्ड भी तैयार किया गया था, जिसमें बहुत से विधायकों के खिलाफ शिकायतें मिली थीं। उसी के आधार पर इतने ढेर सारे विधायकों के टिकट काटे जा रहे हैं। बीजेपी ने सिटिंग विधायकों का टिकट काटने का प्रयोग गुजरात में किया था। 2022 के विधानसभा चुनाव में 182 सीटों वाली विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने जब अपने 38 सीटिंग विधायकों का टिकट काटा था, तो बहुत से सिटिंग विधायकों ने विरोध करने का मन बनाया था, लेकिन पार्टी ने उनके विरोध को गंभीरता से ना लेते हुए नए लोगों को टिकट देने का जोखिम उठाया था।
उस जोखिम का परिणाम यह हुआ कि बीजेपी को न सिर्फ ज्यादा सीटें मिलीं बल्कि बीजेपी ने गुजरात विधानसभा के अब तक जितने भी चुनाव हुए थे, उसमें सबसे बढ़िया प्रदर्शन करते हुए 156 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी को गुजरात से ही इस प्रयोग को करने की एक आदत सी पड़ गई। उसी का नतीजा है कि आज मध्य प्रदेश में भी उस फार्मूले को आजमाया जा रहा है। वैसे भी अब तक जो तमाम सर्वे हुए हैं, उसमें बीजेपी की स्थिति अच्छी नहीं बताई जा रही है।
यह भी माना जा रहा है कि शिवराज सिंह सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर भी देखने को मिल सकती है। बीजेपी को यह भी पता है कि कांग्रेस वहां पूरा दमख़म के साथ लगी हुई है। जब से इंडिया गठबंधन बना है तब से बीजेपी और भी फूंक-फंक कर कदम रख रही है। क्योंकि बीजेपी को पता है कि अगर जरा सी भी चूक हो गई तो मध्य प्रदेश की सत्ता उसके हाथ से जाती रहेगी। जिसका दुष्परिणाम आगामी लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिल ढकते हैं। ऐसे में यह देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा कि गुजरात मॉडल का मध्य प्रदेश चुनाव में कैसा असर दिखता है। अगर मध्य प्रदेश में भी गुजरात मॉडल सफल हो गया तो यह मान लीजिए कि आने वाले लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी लगभग 100 सीटिंग सांसदों का टिकट काट सकती है।
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