मंडाविया, डब्ल्यूएचओ के मुख्य वैज्ञानिक ने कोवैक्सीन के लिए मंजूरी पर चर्चा की
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने गुरुवार को यहां विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन से मुलाकात कर भारत बायोटेक के कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की मंजूरी पर चर्चा की। बैठक के दौरान, स्वामीनाथन ने अन्य मुद्दों के अलावा कोविड-19 महामारी के विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा की।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन |
कोवैक्सीन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे के सहयोग से विकसित किया है।
स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार पिछले महीने राज्यसभा में कहा था कि आपातकालीन उपयोग सूची (ईयूएल) के लिए आवश्यक सभी दस्तावेज कोवैक्सीन के लिए भारत बायोटेक द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को 9 जुलाई तक जमा कर दिए गए हैं और वैश्विक स्वास्थ्य निकाय द्वारा समीक्षा प्रक्रिया शुरू हो गई है।
इससे पहले, कोवैक्सीन को हंगरी के अधिकारियों से गुड मैन्युफैक्च रिंग प्रैक्टिस (जीएमपी) अनुपालन का प्रमाणपत्र मिला था। वैक्सीन के लिए इस मंजूरी को वैश्विक मानकों को पूरा करने की दिशा में एक कदम आगे माना जा रहा है।
स्वामीनाथन ने केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह से भी मुलाकात की और महामारी से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।
मंत्री ने उन्हें बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा व्यक्तिगत हस्तक्षेप और दिन-प्रतिदिन की व्यक्तिगत निगरानी के साथ, भारत ने कोविड-19 के खिलाफ सबसे तेज और सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया है।
आसान उपलब्धता और पहुंच के माध्यम से सामूहिक टीकाकरण के महत्व पर जोर देते हुए, स्वामीनाथन ने कहा कि भले ही टीका वायरस के विभिन्न प्रकारों के खिलाफ पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम न हो, लेकिन यह निश्चित रूप से मृत्यु और जटिलताओं के जोखिम को कम कर सकता है।
स्वामीनाथन ने कोविड-19 के खिलाफ भारत के व्यापक और एकजुट युद्ध की सराहना करते हुए कहा कि आने वाले महीनों में भी सतर्क रहने की जरूरत होगी।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने पिछले हफ्ते अपने अध्ययन में दावा किया है कि घरेलू रूप से विकसित कोवैक्सीन, कोविड-19 के डेल्टा प्लस वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी है।
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