कोवैक्सिन में बछड़े का सीरम होने की अफवाह, सरकार और भारत बायोटेक ने दी ये सफाई

Last Updated 16 Jun 2021 04:47:49 PM IST

कुछ सोशल मीडिया पोस्टों द्वारा फैलाई गई अफवाहों का खंडन करते हुए केंद्र सरकार और भारत बायोटेक ने बुधवार को स्पष्ट किया कि भारत के स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम बिल्कुल नहीं है।


मंत्रालय ने कहा, कोवैक्सीन की संरचना के बारे में कुछ सोशल मीडिया पोस्टों में यह कहा गया है कि कोवैक्सीन टीका में नवजात बछड़ा सीरम है। ऐसे पोस्टों में तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया है और गलत तरीके से पेश किया गया है।

मंत्रालय ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि नवजात बछड़ा सीरम का उपयोग केवल वेरो कोशिकाओं की तैयारी या विकास के लिए किया जाता है।

विभिन्न प्रकार के गोजातीय और अन्य पशु सीरम वेरो सेल (कोशिका) विकास के लिए विश्व स्तर पर उपयोग किए जाने वाले मानक संवर्धन घटक हैं। वेरो कोशिकाओं का उपयोग कोशिका जीवन स्थापित करने के लिए किया जाता है, जो टीकों के उत्पादन में सहायक होते हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल दशकों से पोलियो, रेबीज और इन्फ्लूएंजा के टीकों में किया जाता रहा है।

मंत्रालय ने स्पष्ट करते हुए कहा कि इन वेरो कोशिकाओं को विकास के बाद कई बार इसे नवजात बछड़ा सीरम से मुक्त करने के लिए पानी और रसायनों से भी धोया जाता है। इसके बाद ये वेरो कोशिकाएं वायरल ग्रोथ के लिए कोरोना वायरस से संक्रमित होती हैं।

वायरल ग्रोथ की प्रक्रिया में वेरो कोशिकाएं पूरी तरह नष्ट हो जाती हैं। इसके बाद इस बड़े वायरस को भी मार दिया जाता है (निष्क्रिय कर दिया जाता है) और शुद्ध किया जाता है। मारे गए इस वायरस का प्रयोग अंतिम टीका बनाने के लिए किया जाता है और अंतिम टीका बनाने में कोई बछड़ा सीरम का उपयोग नहीं किया जाता है।

इसलिए अंतिम टीका (कोवैक्सीन) में नवजात बछड़ा सीरम बिलकुल नहीं होते हैं और बछड़ा सीरम अंतिम वैक्सीन उत्पाद का घटक नहीं है।

कोवैक्सीन भारत बायोटेक द्वारा निर्मित भारत की पहला स्वदेशी रूप से विकसित कोविड-19 वैक्सीन है। इस साल 16 जनवरी से भारत में चल रहे कोविड-19 टीकाकरण अभियान में वयस्कों पर इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

वायरल टीकों के निर्माण में होता है गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल : भारत बायोटेक

भारत बायोटेक ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वायरल टीकों के निर्माण के लिए गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कोवैक्सीन पूरी तरह से शुद्ध वैक्सीन है, जिसे सभी अशुद्धियों को हटाकर तैयार किया गया है।

कंपनी ने एक बयान में कहा, ''वायरल टीकों के निर्माण के लिए गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है। इनका इस्तेमाल कोशिकाओं (सेल्स) के विकास के लिए होता है, लेकिन सार्स सीओवी2 वायरस की ग्रोथ या फाइनल फॉमूला में इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है।''

भारत बायोटेक ने स्पष्ट किया कि उसकी कोवैक्सीन पूरी तरह से शुद्ध वैक्सीन है, जिसे सभी अशुद्धियों को हटाकर तैयार किया गया है।

हैदराबाद स्थित वैक्सीन बनाने वाली स्वदेशी कंपनी ने स्पष्ट किया कि कई दशकों से विश्व स्तर पर टीकों के निर्माण में गोजातीय सीरम का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

इसने यह भी कहा कि पिछले 9 महीनों से विभिन्न प्रकाशनों में नवजात बछड़ा सीरम के उपयोग को पारदर्शी रूप से प्रलेखित किया गया था।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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