सुप्रीम कोर्ट ने विमानवाहक पोत ‘विराट’ को संग्रहालय में तब्दील करने की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने सेवा से बाहर किए गए भारत के विमानवाहक पोत ‘विराट’ के संरक्षण और इसे संग्रहालय में तब्दील करने का अनुरोध करने वाली एक निजी कंपनी की याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया।
SC ने ‘विराट’ को संग्रहालय में तब्दील करने की याचिका खारिज की |
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस तथ्य पर गौर किया कि रक्षा मंत्रालय ने सेवा से बाहर किए गए विमानवाहक पोत के संरक्षण संबंधी निजी कंपनी एन्वीटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिवेदन को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।
पीठ ने कहा, ‘‘आप यह नहीं कर सकते हैं। बंबई उच्च न्यायालय ने आपको सरकार के समक्ष प्रतिवेदन देने को कहा। आपने वह किया। सरकार (रक्षा मंत्रालय) ने इसे खारिज कर दिया। आपको इसको चुनौती नहीं देनी चाहिए।’’
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चली कार्यवाही में, पीठ ने एन्वीटेक मरीन की प्रतिनिधि रुपाली शर्मा की इन दलीलों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि यह ‘‘राष्ट्रीय खजाना’’ है और इसे संरक्षित किए जाने की जरूरत है।
पोत के खरीदार श्री राम ग्रुप की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा, ‘‘उन्होंने रक्षा मंत्रालय का रुख किया। मंत्रालय ने ना कह दिया। मामला यहीं समाप्त होता है। याचिका का निस्तारण किया जाए।’’
सेंटॉर श्रेणी का विमानवाहक पोत, आईएनएस विराट ने मार्च 2017 में सेवा से बाहर किए जाने से पहले 29 साल तक भारतीय नौसेना में सेवा दी।
‘विराट’ पिछले साल सितंबर में मुंबई से गुजरात के अलंग पोत तोड़फोड़ यार्ड में पहुंचा था और उसके तोड़ने की प्रक्रिया जारी है।
विराट, भारत का दूसरा विमानवाहक पोत है जिसे तोड़ने की इजाजत दी गई है। इससे पहले 2014 में ‘विक्रांत’ को मुंबई में तोड़ा गया था।
गुजरात के भावनगर जिले के अलंग स्थित श्री राम ग्रुप ने पिछले साल जुलाई में एक नीलामी में 38.54 करोड़ रुपये में विराट को खरीदा था और पिछले साल दिसंबर में उसे तोड़ना शुरू कर दिया था।
पीठ ने ‘विराट’ को तोड़ने की स्थिति रिपोर्ट पर गौर करने के बाद निजी कंपनी से पूछा था कि जब युद्धपोत की वैध खरीद के बाद उसका 40 प्रतिशत हिस्सा तोड़ा जा चुका है, तब वह उसे संग्रहालय बनाने के लिए क्यों लेना चाहते हैं।
इस पर कंपनी की प्रतिनिधि ने कहा था कि वह तोड़फोड़ की स्थिति का निरीक्षण करना चाहती हैं और कहा था कि ‘‘दुनिया भर में ऐसे युद्धपोतों को संरक्षित रखा जाता है।’’
जानिए विमानवाहक पोत 'विराट' का बारे में
भारतीय नौसेना पोत विराट (आई एन एस विराट) भारतीय नौसेना में सेंतौर श्रेणी का एक वायुयान वाहक पोत है। भारतीय सेना की अग्रिम पंक्ति (फ़्लेगशिप) का यह पोत लंबे समय से सेना की सेवा में है। 1997 में भारतीय नौसेना पोत विक्रांत के सेवामुक्त कर दिए जाने के बाद इसी ने विक्रांत के रिक्त स्थान की पूर्ति की थी। इस समय यह हिंद महासागर में उपस्थित दो वायुयान वाहक पोतों में से एक है।
इस पोत ने सन 1959 रायल नेवी (ब्रिटिश नौसेना) के लिये कार्य करना शुरु किया एवं 1985 तक वहाँ सक्रिय रहा। इस का प्रथम नाम एच एम एस हर्मस था। तदपश्चात 1986 मे भारतीय नौसेना ने कई देशो के युद्ध पोतों की समीक्षा करने के बाद इसे रॉयल नेवी से खरीद लिया। इस सौदे के बाद इस पोत मे कई तकनीकी सुधार किये गए जिससे इसे अगले एक दशक तक कार्यशील रखा जा सके। ये तकनीकी सुधार एवं रखरखाव देवेनपोर्ट डॉकयार्ड पर हुए। 12 मई 1987 को इसे भारतीय नौसेना में आधिकारिक रूप से सम्मलित कर लिया गया।
विराट पर 12 डिग्री कोण वाला एक स्की जंप लगा है जो सी हैरीयर श्रेणी के लड़ाकु वायुयानों के उड़ान भरने में कारगर होता है। इस पोत पर एक साथ 18 लड़ाकू वायुयान रखे जा सकते है। पोत के बाहरी आवरण, मशीनों एवं मेगजीनों (तोप एवं अन्य शस्त्रगृह) को 1.2 इंच मोटे कवच से बख्तर बंद किया गया है। यह मेगजीनें 80 से भी अधिक हल्के तॉरपीडो का एक बार मे भंडार कर सकती है। पोत पर 750 लोगों के रहने की जगह तो है ही, चार छोटी नावें (लेंडिंग क्राफ़्ट) भी है जो पोत से तट तक सैनिकों को ले जा सकती हैं।
पनडुब्बी की खबर रखने के लिए इसे सी किंग हैलीकॉप्टर से लैस किया जायेगा। इस पोत का अधिकतम जल विस्थापन क्षमता 28,500 टन है तथा इसके भार को खींचने के लिये 76000 हार्स पावर क्षमता वाली भाप से चलने वली टरबाईन लगायी गई है।
भारतीय नौसेना का नया वायुयान वाहक पोत विक्रमादित्य, विराट का उत्तराधिकारी है। इसे 2012 से सेवा में ले लिया गया है। हाल मे हुये रखरखाव को देखते हुए विराट का सेवा काल 2019 तक बढ़ा दिया गया है जो पहले 2012 तक तय किया गया था।
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