सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार, देशमुख की याचिका पर विचार करने से इनकार

Last Updated 08 Apr 2021 05:18:06 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार और पूर्व राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।


सुप्रीम कोर्ट

इस याचिका में मुंबई पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह की ओर से लगाए गए आरोपों की सीबीआई से जांच कराने के मुंबई हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और हेमंत गुप्ता की एक पीठ ने कहा- लगाए गए तमाम आरोप गंभीर हैं और इसमें शामिल व्यक्तियों को स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की आवश्यकता है .. यह जनता के विश्वास की बात है।

सुप्रीम कोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश से सहमत थी और विपरीत पक्षों की दलीलें सुने बिना, महाराष्ट्र सरकार और देशमुख द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने कहा कि जब राज्य ने जांच आयोग का गठन किया तो उन्होंने (देशमुख) ने इस्तीफा नहीं दिया। उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अपना पद छोड़ा था।



सुनवाई के दौरान, पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त, जिन्होंने उनके खिलाफ आरोप लगाए, वे देशमुख के दुश्मन नहीं थे, बल्कि करीबी सहयोगी थे।

देशमुख का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ आरोप केवल सुने गए और उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है। ऐसे में इस मामले की सीबीआई जांच के लिए ये कोई आधार नहीं बन सकता।

जज और कपिल सिब्बल के बीच बहस का कुछ हिस्सा

जस्टिस कौल- 2 बड़े पद पर बैठे लोगों का मामला है. निष्पक्ष जांच ज़रूरी है।
सिब्बल- मुझे (देशमुख को) सुना जाना चाहिए था।
जस्टिस गुप्ता- क्या आरोपी से पूछा जाता है कि FIR हो या नहीं?
सिब्बल- बिना ठोस आधार के आरोप लगाए गए।
जस्टिस कौल- यह आरोप ऐसे व्यक्ति का है जो गृह मंत्री जा विश्वासपात्र था. अगर ऐसा नहीं होता तो उसे कमिश्नर का पद नहीं मिलता. यह कोई राजनीतिक प्रतिद्वंदिता का मामला नहीं है.

 

परम बीर सिंह का चहेता था सचिन वाजे

मुंबई पुलिस के वर्तमान आयुक्त हेमंत नागराले द्वारा महाराष्ट्र गृह विभाग में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, विवादास्पद निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे, तत्कालीन मुंबई पुलिस प्रमुख परम बीर सिंह के चहेते थे। रिपोर्ट में मुंबई पुलिस की अपराध शाखा के इलीट अपराध खुफिया इकाई (सीआईयू) में सहायक पुलिस निरीक्षक (एपीआई) के नौ महीने के लंबे कार्यकाल का विवरण है। शीर्ष पुलिस अधिकारियों के विरोध के बावजूद उन्हें जून 2020 में सिंह द्वारा बहाल किया गया था। पुलिस स्थापना बोर्ड ने इस संबंध में फैसला किया था।

दो पुलिस इंस्पेक्टर- सुधाकर देशमुख और विनय घोरपड़े- को यूनिट 01 और 10 में स्थानांतरित कर दिया गया। यह निर्णय वाजे के लिए रास्ता बनाने के लिए था। जो एक लोवर एपीआई रैंक के थे, लेकिन सीआईयू के प्रभारी के रूप में तैनात किया गया।

रिपोर्ट के अनुसार, "टेलीफोन पर दी गई जानकारी के अनुसार, तत्कालीन जेटी सीपी (अपराध) ने सचिन वाजे की पोस्टिंग का कड़ा विरोध किया था। लेकिन तत्कालीन सीओपी (सिंह), तत्कालीन जेटी सीपी (क्राइम) के आग्रह पर अनिच्छा से वाजे की सीआईयू में पोस्टिंग के बाबत कार्यालय में आदेश जारी किया।"

5 जून, 2020 को उनकी निलंबन अवधि समाप्त होने के बाद, वाजे को फिर से बहाल कर दिया गया था और 8 जून, 2020 को सशस्त्र पुलिस बल में एक गैर-कार्यकारी पद पर तैनात किया गया था, लेकिन इसके कुछ दिनों बाद, उन्हें सीआईयू में नियुक्त कर दिया गया।

मार्च में, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एसयूवी मामले और ठाणे के व्यवसायी मनसुख हिरेन की की मौत के बाद वाजे को गिरफ्तार किया था।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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