PM मोदी ने नीति आयोग की बैठक में कृषि सुधारों को बताया जरूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से नीति आयोग की गवर्निग काउंसिल की छठी बैठक को संबोधित करते हुए कृषि सुधारों का समर्थन किया है।
![]() प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(फाइल फोटो) |
उन्होंने कहा कि किसानों को जरूरी आर्थिक संसाधन मिलें, इसके लिए रिफार्म्स बहुत जरूरी हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करते हुए कहा कि हाल ही में ऐसे कई सुधार किए गए हैं, जो सरकार का दखल कम करते हैं। कोरोना काल में कृषि निर्यात में बढ़ोत्तरी हुई है। कृषि क्षेत्र में स्टोरेज और प्रोसेसिंग पर ध्यान देने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कृषि से लेकर मत्स्यपालन तक होलिस्टिक अप्रोच के साथ सरकार कार्य कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा, "हमने कोरोना कालखंड में देखा है कि कैसे जब राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर काम किया, देश सफल हुआ। दुनिया में भी भारत की एक अच्छी छवि का निर्माण हुआ। हम ये भी देख रहे हैं कि कैसे देश का प्राइवेट सेक्टर, देश की इस विकास यात्रा में और ज्यादा उत्साह से आगे आ रहा है। सरकार के नाते हमें इस उत्साह का, प्राइवेट सेक्टर की ऊर्जा का सम्मान भी करना है और उसे आत्मनिर्भर भारत अभियान में उतना ही अवसर भी देना है।"
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान, एक ऐसे भारत का निर्माण का मार्ग है जो न केवल अपनी आवश्यकताओं के लिए बल्कि विश्व के लिए भी उत्पादन करे और ये उत्पादन विश्व श्रेष्ठता की कसौटी पर भी खरा उतरे। केंद्र सरकार ने विभिन्न सेक्टर्स के लिए पीएलआई स्कीम्स शुरू की हैं। ये देश में मैन्यूफैक्च रिंग बढ़ाने का बेहतरीन अवसर है। राज्यों को भी इस स्कीम का पूरा लाभ लेते हुए अपने यहां ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षित करना चाहिए।
मोदी ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से नीति आयोग की गवर्निग काउंसिल की छठी बैठक को संबोधित करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों के मिलकर काम करने पर जोर दिया।
राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई इस बैठक में उन्होंने कहा कि आज जब देश अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे करने वाला है तब गवनिर्ंग काउंसिल की बैठक और महत्वपूर्ण हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "कोऑपरेटिव फेडरलिज्म को और अधिक सार्थक बनाना और यही नहीं हमें प्रयत्नपूर्वक कंपटीटिव कोऑपरेटिव फेडरलिज्म को न सिर्फ राज्यों के बीच, बल्कि डिस्ट्रिक्ट तक ले जाना है। ताकि विकास की स्पर्धा निरंतर चलती रहे।"
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