बीडीएस कोर्स के लिए कट-ऑफ कम किया सुप्रीम कोर्ट ने

Last Updated 09 Feb 2021 03:31:43 AM IST

केंद्र सरकार को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2020-21 के लिए बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस) पाठ्यक्रम में दाखिले के वास्ते न्यूनतम अंक कम नहीं करने के उसके आदेश को खारिज करते हुए कहा कि यह तर्क से परे और दोषपूर्ण है।


बीडीएस कोर्स के लिए कट-ऑफ कम किया सुप्रीम कोर्ट ने

शीर्ष अदालत ने न्यूनतम अंक में 10 पर्सेंटाइल कम करने के बाद केंद्र को निर्देश दिया कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए बीडीएस प्रथम वर्ष की रिक्त सीटों को मौजूदा वर्ष के नीट (अंडरग्रेजुएट) पाठ्यक्रमों में भागीदारी करने वाले उम्मीदवारों से भरा जाए। अदालत ने कहा कि मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के दौरान प्रथम वर्ष बीडीएस पाठ्यक्रम में दाखिला के लिए करीब सात हजार सीटें उपलब्ध हैं जिसके लिए परीक्षा 13 सितम्बर 2020 को हुई थी।  
जस्टिस एल नागेर राव और कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा कि 40 पर्सेटाइल हासिल करने वाले सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के नामों पर 2020-21 के लिए प्रथम वर्ष बीडीएस पाठ्यक्रम में दाखिले पर विचार होगा। अदालत ने कहा कि हम बीडीएस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए न्यूनतम अंकों को नहीं घटाने के पहले प्रतिवादी के 30 दिसम्बर 2020 के फैसले को खारिज कर रहे हैं क्योंकि यह तर्क से परे और दोषपूर्ण है।

अदालत ने कहा कि अजा, अजजा, ओबीसी श्रेणी के छात्रों को 30 पर्सेंटाइल होने पर उन्हें पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए योग्य घोषित किया जाएगा। अदालत ने केंद्र की इस दलील को खारिज कर दिया कि देश में पर्याप्त संख्या में दंत चिकित्सक मौजूद हैं और सीटें नहीं भर पाने से कोई नुकसान नहीं है। हालांकि, बेंच ने सरकार के इस बयान से सहमति जताई कि निजी दंत चिकित्सा कॉलेजों में बहुत ज्यादा शुल्क होने के कारण बीडीएस की ज्यादातर सीटें खाली हैं और यही कारण हैं कि सीटें नहीं भर पाती। अदालत ने कहा कि सरकारी कॉलेजों में सात हजार सीटों में से केवल 265 सीटें खाली हैं। बाकी सारी सीटें निजी दंत चिकित्सा कॉलेजों में खाली हैं। निजी दंत चिकित्सा कॉलेजों के प्रबंधन को शुल्क घटाकर छात्रों को कॉलेज से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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