हमारा जस्टिस सिस्टम ऐसा हो, जहां समय से न्याय की गारंटी हो : PM मोदी

Last Updated 06 Feb 2021 11:56:00 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से गुजरात हाईकोर्ट की डायमंड जुबली समारोह को संबोधित किया।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को देश की न्यायपालिका की सराहना करते हुए कहा कि उसने लोगों के अधिकार की रक्षा करने और निजी स्वतंत्रता को बरकरार रखने के अपने कर्तव्य का पूर्ण निष्ठा से निवर्हन किया है।

उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने उन स्थितियों में भी अपने कर्तव्य का निष्ठा से पालन किया, जब राष्ट्र हितों को प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता थी।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के दौरान वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से दुनिया में सर्वाधिक संख्या में सुनवाई की।

मोदी ने यह भी कहा कि देश की न्याय प्रणाली को भविष्य के लिए तैयार करने के वास्ते कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है।

मोदी ने गुजरात उच्च न्यायालय के 60 वर्ष पूरे होने के अवसर पर ऑनलाइन माध्यम से डाक टिकट जारी करने के बाद कहा, ‘‘हर देशवासी यह कह सकता है कि हमारी न्यायपालिका ने हमारे संविधान की रक्षा के लिए दृढता से काम किया। हमारी न्यायपालिका ने अपनी सकारात्मक व्याख्या से संविधान को मजबूत किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह सुनकर सभी को गौरव होता है कि हमारा न्यायालय महामारी के दौरान वीडियो कांफ्रेंस के जरिए दुनिया का सर्वाधिक सुनवाई करने वाला न्यायालय बन गया है।’’

मोदी ने कहा कि न्यायपालिका ने लोगों के अधिकारों की रक्षा करने, निजी स्वतंत्रता को बरकरार रखने के अपने कर्तव्य का निष्ठा से निर्वहन किया और उसने उन स्थितियों में भी अपने कर्तव्य का पालन किया, जब राष्ट्र हितों को प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता थी।

उन्होंने कहा कि ‘डिजिटल इंडिया मिशन’ की बदौलत देश की न्याय पण्राली का तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है और 18,000 से अधिक अदालतें कम्प्यूटरीकृत हो चुकी हैं।

मोदी ने गुजरात उच्च न्यायालय की सराहना करते हुए कहा कि उसने सत्य और न्याय के लिए जिस कर्तव्यनिष्ठा से काम किया और अपने संवैधानिक कर्तव्यों के लिए जो तत्परता दिखाई, उससे भारतीय न्याय व्यवस्था और भारत के लोकतंत्र दोनों मजबूत हुए हैं।

मोदी ने गुजरात उच्च न्यायालय की हीरक जयंती पर उसे बधाई देते हुए कहा कि अदालत और बार ने अपनी समझ एवं विद्वता के कारण विशिष्ट पहचान बनाई है।

उन्होंने कहा, ‘‘न्यायपालिका के प्रति भरोसे ने सामान्य नागरिक के मन में एक आत्मविश्वास पैदा किया है। उसे सच्चाई के लिए खड़े होने की ताकत दी है। जब हम आजादी से अब तक देश की यात्रा में न्यायपालिका के योगदान की चर्चा करते हैं, तो हम ‘बार’ के योगदान की भी चर्चा करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में कानून का शासन, सदियों से सभ्यता और सामाजिक ताने-बाने का आधार रहा है।

प्रधानमंत्री ने प्राचीन ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा कि न्याय ही सुराज की बुनियाद है।

मोदी ने कहा कि न्यायपालिका ने संविधान की रक्षा करने का दायित्व पूरी दृढता से निभाया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे संविधान में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को दी गई जिम्मेदारियां हमारे संविधान के लिए प्राणवायु की तरह है। हमारी न्यायपालिका ने संविधान की प्राणवायु की सुरक्षा का दायित्व पूरी दृढता से निभाया।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका दोनों का यह दायित्व बनता है कि वे मिलकर लोकतंत्र के लिए विस्तरीय न्याय प्रणाली तैयार करें।

उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली ऐसी होनी चाहिए, जो समाज के सबसे वंचित तबके के लिए भी सुलभ हो।

मोदी ने कहा, ‘‘हमारी न्याय प्रणाली ऐसी होनी चाहिए, जो समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के लिए भी सुलभ हो, जहां हर व्यक्ति के लिए समय पर न्याय की गारंटी हो।

सरकार इस दिशा में काम करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।’’

उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि महामारी के दौरान गुजरात उच्च न्यायालय देश का पहला ऐसा न्यायालय बना, जिसने कार्यवाही का लाइव प्रसारण शुरू किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए संतुष्टि की बात है कि ई-कोर्ट एकीकृत मिशन के अंतर्गत न्याय विभाग ने डिजिटल बुनियादी ढांचे को काफी कम समयावधि में तैयार किया, जिसके चलते हमारी अदालतें ऑनलाइन कार्य संचालन कर सकीं।’’

उन्होंने कहा कि मुकदमों की ई-फाइलिंग, यूनिक आईडी और मुकदमे का विवरण प्राप्त करने के लिए क्यूआर कोड जैसी सुविधाओं ने सुलभ न्याय को एक नया आयाम दिया है।      राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि यह पण्राली वकीलों और वादियों को एक क्लिक पर ही मुकदमे एवं आदेशों की जानकारी उपलब्ध कराने में सहायक होगी।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की समिति और राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र मिलकर भारत में न्याय पण्राली को और सुलभ बनाने को लेकर कार्य कर रहे हैं।


 

भाषा
नई दिल्ली


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