चक्का जाम: दिल्ली में हिरासत में लिये गए 50 प्रदर्शनकारी, पंजाब-हरियाणा में किसानों ने कीं सड़कें अवरुद्ध

Last Updated 06 Feb 2021 10:38:48 AM IST

केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के ‘चक्का जाम‘ के आह्वान के समर्थन में कथित रूप से प्रदर्शन करने के लिए शनिवार को मध्य दिल्ली के शहीदी पार्क के पास 50 व्यक्तियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।


देशभर में किसानों का 'चक्का जाम'

संयुक्त किसान मोर्चा के आहवान पर अखिल भारतीय किसान मजदूर समन्वय समिति के बैनर तले शनिवार को जिले के विभिन्न नेशनल हाईवे व स्टेट हाईवे पर 12 बजे से तीन बजे तक चक्का जाम किया गया।

किसान यूनियनों द्वारा शनिवार को आहूत राष्ट्रव्यापी ‘चक्का जाम’के दौरान पंजाब और हरियाणा में नए केन्द्रीय कृषि कानूनों और अन्य मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कई जगह सड़कें अवरुद्ध कर दीं।

 

किसान यूनियनों द्वारा शनिवार को आहूत राष्ट्रव्यापी ‘चक्का जाम‘ के दौरान पंजाब और हरियाणा में नए केन्द्रीय कृषि कानूनों और अन्य मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कई जगह सड़कें अवरुद्ध कर दीं।      

 

किसान यूनियनों ने सोमवार को घोषणा की थी प्रदर्शन स्थलों के आसपास के इलाकों में इंटरनेट पर पाबंदी लगाने, अधिकारियों द्वारा कथित रूप से प्रताड़ित किये जाने और अन्य मुद्दों को लेकर वह छह फरवरी दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक देशव्यापी चक्का जाम के दौरान विरोधस्वरूप राष्ट्रीय और राजकीय राजमार्ग अवरुद्ध करेंगे। अधिकारियों ने कहा कि पुलिस ने सुरक्षा बढा दी है और यातायात का मार्ग बदलने के लिये सभी प्रबंध कर लिये हैं।

भारती किसान यूनियन (एकता उग्रहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरिकलां ने कहा कि वे पंजाब के संगरूर, बरनाला और बंठिंडा समेत 15 जिलों के 33 स्थानों पर सड़कें अवरुद्ध कर रहे हैं।

गुरुग्राम : एसकेएम ने 'चक्का जाम' के दौरान किया सांकेतिक प्रदर्शन

केंद्र द्वारा लागू किए गए 3 कृषि कानूनों के विरोध में किसान संघों के आह्वान पर शनिवार को किए गए 3 घंटे के चक्का जाम के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने भी दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि गुरुग्राम के पालम विहार रोड पर कृष्णा चौक पर किया गया यह प्रदर्शन सांकेतिक रहा। करीब 200 प्रदर्शनकारी और विभिन्न पार्टियों के नेताओं ने सड़क के बीच बैठकर यातायात रोका। साथ ही कृषि कानूनों के विरोध में नारे भी लगाए।

एसकेएम, गुरुग्राम के प्रेसिडेंट चौधरी संतोख सिंह ने कहा, "तय कार्यक्रम के अनुसार, हमने दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक विरोध प्रदर्शन किया। जब तक सरकार इन तीनों काले कानूनों को हटा नहीं देती, एसकेएम इनका विरोध करता रहेगा।"

राजस्थान में कई स्थानों पर दोपहर बारह से अपरान तीन बजे तक रहा चक्का जाम

केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहीं किसान यूनियनों के समर्थन में किसानों ने राजस्थान में शनिवार को अनेक जगह ‘चक्का जाम‘ किया। राजस्थान में चक्का जाम को सत्तारुढ़ पार्टी कांग्रेस ने भी पूरा समर्थन दिया है और जयपुर सहित विभिन्न जिलों में किसानों के साथ कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता भी सड़कों पर आकर चक्का जाम में भाग लिया। इस दौरान सीकर रोड़, आगरा रोड़, दिल्ली रोड़, अजमेर रोड़ और टोंक रोड़ पर चक्का जाम किया गया जिससे मार्ग पर वाहनों की लंबी कतारे लग गई है।

जयपुर-अजमेर रोड़ पर भांकरोटा चौराहे पर चक्काजाम लगाने से दो-तीन किलोमीटर लंबा जाम लग गया। इसके पुलिस ने एक घंटा बाद ही किसान एवं कांग्रेस नेताओं को समझाकर जाम खुलवाया। इस दौरान राजधानी जयपुर के चारों ओर राष्ट्रीय राजमागरें पर ट्रैक्टर लगाकर रास्ते रोककर जाम लगा दिया गया। इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न जगहों पर ट्रैक्टर, पत्थर एवं सड़क पर बैठकर जाम लगाया गया। जाम में कई जगहों पर पर महिलाओं ने भाग लिया।

कर्नाटक में 'चक्का जाम' आंशिक रूप से सफल

र्नाटक किसान संगठनों ने राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध करने में यहां आंशिक रूप से सफलता पाई। किसान संगठनों ने शनिवार को तीन कृषि कानूनों के विरोध में कुछ राज्यों को छोड़कर पूरे देश में चक्का जाम का आह्वान किया था। मार्ग अवरुद्ध होने की वजह से मैसूरु-बेंगलुरु राजमार्ग पर ट्रैफिक पर असर पड़ा। जबकि राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के गढ़ रहे तटीय क्षेत्र को छोड़कर, किसानों ने राज्य भर में वाहनों को रोकने में आंशिक रूप से सफलता पाई।

राज्य भर में विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित किए गए और किसी भी तरह की अवांछित घटना सामने नहीं आई।

महाराष्ट्र में 'चक्का जाम' से यातायात पर असर

हजारों की संख्या में किसान, मजदूर, राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित कई महिलाओं ने देश भर में सड़कों और राजमार्गो पर राष्ट्रव्यापी 'चक्का जाम' के आह्वान के तहत आंदोलन में भाग लिया और दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त की। संयुक्ता किसान मोर्चा के प्रवक्ता पीएस प्रसाद के अनुसार , "कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच कार्यकर्ताओं ने राज्य के 36 जिलों में से मुंबई सहित 34 जिलों के प्रमुख सड़कों, राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य महत्वपूर्ण मार्गो को अवरुद्ध कर दिया। कार्यकर्ताओं ने चौराहों पर तख्तियां लहराईं, नारे लगाए और भक्ति या देशभक्ति के गीत गाए।"

भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर, आंदोलन में सभी प्रमुख दलों जैसे शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस, वाम दलों के साथ-साथ अखिल भारतीय किसान सभा, स्वाभिमानी शेतकारी संगठन(एसएसएस), विदर्भ जन आंदोलन समिति और भारतीय किसान सेना जैसे किसान संगठनों की भागीदारी देखी गई।

प्रसाद ने बताया, "पालघर, ठाणे, रायगढ़, पुणे, कोल्हापुर, सोलापुर, नाशिक, अहमदनगर, उस्मानाबाद जैसी जगहों पर किसानों, कार्यकर्ताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने चक्का जाम में शांतिपूर्वक भाग लिया।"



दरअसल गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के बाद से पुलिस प्रशासन किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहता, यही कारण है कि पुलिस किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार खड़ी हई है।

पुलिस बार-बार ड्रोन से बॉर्डर पर निगाह बनाए हुई है। पुलिस के आला अधिकारी भी बॉर्डर पर पहुंच स्थिति का जायजा ले रहे हैं।

बीते 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के बाद से सभी बॉर्डरों पर पुलिस द्वारा सख्ती बढ़ा दी गई है। उधर, लाल किले पर भी बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किए गए है। हालांकि चक्का जाम को लेकर मोर्चा की तरफ से कुछ बातें साफ की गई हैं। "जिसमें पहला की दिल्ली की सीमा के अंदर कोई चक्का जाम प्रोग्राम नहीं होगा।"

दूसरी ओर किसान हर दिन की तरह बॉर्डर पर सामान्य रूप से अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसी तरह की कोई गतिविधि न तो किसान नेताओं की तरफ से की जा रही है और न ही प्रदर्शन में शामिल होने आए अन्य किसानों की तरफ से।

बॉर्डर पर बैठे किसानों की तरफ से तैनात किए गए वालंटियर सुबह से ही स्थिति बनाए रखने में लोगों की मदद कर रहै हैं। इन सभी लोगों ने पुलिस की बैरिकेड से 100 मीटर पहले अपनी बैरिकेड लगा रखी है, ताकि किसी सामान्य व्यक्ति को आगे न बढ़ने दिया जाए।

शहर में पुलिस बल फ्लैश मॉब की किसी भी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। पुलिस द्वारा सोशल मीडिया हैंडल्स और हैशटैग्स पर भी नजर रखा जा रहा है ताकि फ्लैश मॉब की तरह आकस्मिक भीड़ जमा होने की किसी भी घटना से निपटा जा सके। गणतंत्र दिवस के बाद यह दूसरी दफा है, जब पुलिस की पूरी टीम एक साथ मिलकर चौकसी बनाए रखने के अपने काम में जुटी हुई है।

दिल्ली पुलिस पीआरओ चिन्मय बिस्वाल ने कहा, "हमें पता चला है कि राजधानी में चक्का जाम करने की किसानों की कोई योजना नहीं है, लेकिन 26 जनवरी से पहले हुए समझौते की धज्जियां उड़ाए जाने के मद्देनजर हम कोई कसर नहीं छोड़ा चाहते हैं और इसी के चलते सीमावर्ती क्षेत्रों पर खासतौर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।"

रणनीतिक स्थानों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है और पुलिस सीमावर्ती राज्यों और सिंधु, टीकरी और गाजीपुर सीमाओं के करीब विरोध स्थलों पर विरोध प्रदर्शनों पर नजर रख रही है।


मल्टी लेयर बैरिकेडिंग और कंटीले तारों की बाड़ लगाने के बीच इन क्षेत्रों में अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं। दिल्ली पुलिस, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे सीमावर्ती राज्यों की पुलिस के साथ भी संपर्क में है और राज्य पुलिस के साथ मिलकर खुफिया सूचनाओं का भी आदान-प्रदान कर रही है।

दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी चिन्मय बिस्वाल ने कहा कि 26 जनवरी को हुईंिहसा के मद्दनेजर दिल्ली पुलिस ने सीमाओं पर सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध किए हैं ताकि उपद्रवी दिल्ली में न घुस पाएं।      

पुलिस ने बताया कि उसने चक्का जाम के कारण पैदा हो सकने वाले हर प्रकार के हालात से निपटने के लिए अतिरिक्त कदम उठाए हैं।      

बिस्वाल ने कहा, ‘‘हम सोशल मीडिया संबंधी सामग्री पर नजर रख रहे हैं ताकि पुलिस के खिलाफ अफवाह न फैलाई जा सके। हम अन्य राज्यों के पुलिस बलों के संपर्क में भी हैं।’’      

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ‘चक्का जाम’ के दौरान कानून व्यवस्था में खलल डालने या सामान्य जनजीवन को प्रभावित करने वाली किसी भी तरह की स्थिति उत्पन्न होने से रोकने के उद्देश्य से समूचे बाहरी-उत्तरी दिल्ली जिले में पर्याप्त बल तैनात किए जा रहे हैं।

दरअसल तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता हेतु सरकार का विरोध कर रहे हैं।

कई मेट्रो स्टेशन अस्थाई रूप से बंद

तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलनरत किसानों के शनिवार को चक्का जाम के आवान के मद्देनजर दिल्ली मेट्रो के कई स्टेशनों को अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया।
चक्का जाम के परिप्रेक्ष्य में विश्वविद्यालय, लाल किला, जामा मस्जिद , जनपथ, केंद्रीय सचिवालय, खान  मार्केट और नेहरू प्लेस मेट्रो स्टेशनों पर प्रवेश/निकास द्वारों को बंद कर दिया गया है।

एजेंसियां
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment