संसद में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण

Last Updated 29 Jan 2021 01:54:18 PM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक समीक्षा पेश की। एक अप्रैल 2021 को पेश किये जाने वाले बजट से पहले संसद के पटल पर रखी गयी समीक्षा में अर्थव्यवस्था की स्थिति की विस्तार से जानकारी दी गयी है।


वित्‍त मंत्री ने संसद में पेश किया आर्थिक समीक्षा (फाइल फोटो)

आर्थिक समीक्षा 2020-21 में अनुसंधान और विकास में निजी क्षेत्र का योगदान बढ़ाकर 50 प्रतिशत से अधिक करने का आहवान करते हुए कहा गया है कि भारत को संस्थानों और व्यापार को अनुकूल बनाने के संबंध में अपनी कार्य प्रणाली में सुधार पर विशेष ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक समीक्षा, 2020-21 पेश करते हुए कहा कि भारत को उच्च वृद्धि हासिल  करने का रास्ता अपनाने और निकट भविष्य में  तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए नवोन्मेष पर अधिक ध्यान  देने की आवश्यकता होगी। इसके लिए अनुसंधान और विकास पर कुल व्यय वर्तमान  में जीडीपी के 0.7 प्रतिशत से बढ़ाकर सकल घरेलू व्यय के कम  से कम औसत स्तर दो  प्रतिशत से अधिक की अन्य शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं तक बढ़ाने की आवश्यकता है। इसमें आर एंड डी  कर्मियों और देश के अनुसंधानकर्ताओं खासतौर से निजी क्षेत्र के लोगों को  उचित तरीके से शामिल करने का आहवान किया गया है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 में वैश्विक नवोन्मेष सूचकांक के अस्तित्व में आने के बाद 2020 में पहली बार भारत 50 शीर्ष नवोन्मेषी देशों में शामिल हो गया। 2020 में भारत का रैंक सुधरकर 48 पर आ गया, जो 2015 में 81 पर था। भारत मध्य और दक्षिण एशिया में पहले नम्बर पर और निम्न मध्यम आय वर्ग की अर्थव्यवस्थाओं में तीसरे नम्बर पर रहा।       

उन्होंने कहा कि व्यावसायिक क्षेत्र का अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कुल आरएंडडी कर्मियों और अनुसंधानकर्ताओं को योगदान काफी कम है। नवोन्मेष के लिए अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक उदार कर प्रोत्साहनों के बावजूद यह स्थिति बनी हुई है। भारत की नवोन्मेष रैंकिंग इक्विटी पूंजी तक उसकी पहुंच के स्तर के मुकाबले काफी कम है। यह स्थिति इस बात की आवश्यकता की ओर संकेत करती है कि भारत के व्यावसायिक क्षेत्र को अनुसंधान और विकास में निवेश पर्याप्त रूप से बढ़ाना चाहिए।

समीक्षा में यह भी सुझाव दिया गया है कि इन क्षेत्रों का आरएंडडी को कुल योगदान क्रमश: वर्तमान 30 प्रतिशत के स्तर और 34 प्रतिशत अनुसंधान कर्मियों के वर्तमान स्तर से बढ़ाकर क्रमश: 58 प्रतिशत और 53 प्रतिशत करने की आवश्यकता है। भारत को नवोन्मेष में अग्रणी रहने के लिए 2030 तक 10 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं तक पहुंचने के लिए देश में दायर कुल पेटेंट आवेदनों में उसके निवासियों का हिस्सा 9.8 प्रतिशत पर वर्तमान 36 प्रतिशत के स्तर से बढ़ना चाहिए।

भारत को संस्थानों और व्यापार को अनुकूल बनाने के संबंध में अपनी कार्य पण्राली में सुधार पर विशेष ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, क्योंकि इस दिशा में अच्छे प्रदर्शन निरंतर उच्च नवोन्मेष की ओर संकेत करते हैं।

वार्ता
नई दिल्ली


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