त्वचा से त्वचा का स्पर्श : बंबई हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम स्टे

Last Updated 28 Jan 2021 02:10:49 AM IST

त्वचा से त्वचा का स्पर्श न होने पर पॉक्सो अधिनियम के तहत अभियुक्त को बरी करने के बंबई हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।


सुप्रीम कोर्ट

अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यदि जजमेंट पर तुरंत रोक नहीं लगाई गई, तो यह खतरनाक नजीर बन जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल को फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति प्रदान कर दी। बंबई हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने 19 जनवरी को ‘यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण’ (पॉक्सो) कानून के तहत एक व्यक्ति को यह कहते हुए बरी कर दिया गया था कि बच्ची के शरीर को उसके कपड़ों के ऊपर से स्पर्श करने को यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता।  

चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना तथा वी. रामसुब्रमण्यन की बेंच ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल के उल्लेख करने पर हाई कोर्ट के निर्णय पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भी जारी किया और अटार्नी जनरल को बंबई हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के 19 जनवरी के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दी। गौरतलब है कि 19 जनवरी को हाई कोर्ट ने कहा था कि चूंकि व्यक्ति ने बच्ची के शरीर को उसके कपड़े हटाए बिना स्पर्श किया था, इसलिए उसे यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता। इसके बजाय यह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 के तहत महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने का अपराध बनता है। हाई कोर्ट ने एक सत्र अदालत के आदेश में संशोधन किया था, जिसमें 39 वर्षीय व्यक्ति को 12 साल की लड़की का यौन उत्पीड़न करने को लेकर तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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