किसानों का आंदोलन 48वें दिन जारी, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नजर

Last Updated 12 Jan 2021 10:55:36 AM IST

केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का मंगलवार को 48वां दिन है। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान संगठनों ने कह दिया है कि किसी कमेटी में मसले को ले जाना उन्हें मंजूर नहीं है।


सुप्रीम कोर्ट आज (मंगलवार) को फिर इस मामले में सुनवाई करेगी। अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव ने आने से कहा कि सरकार कोर्ट की आड़ में मामले को लटकाना चाहती है जो किसानों को मंजूर नहीं है। उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि कृषि कानून जनता की चुनी हुई सरकार ने बनाया है और किसान इसे निरस्त करने की मांग सरकार से कर रही है। यह सरकार से उनकी फरियाद है।

उन्होंने कहा कि आंदोलन को तेज करने को लेकर पहले से घोषित उनका कार्यक्रम चलता रहेगा। बुधवार को लोहड़ी पर्व पर देशभर में किसान तीनों कानूनों की प्रतियां जलाएंगे। फिर 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर पहले से घोषित कार्यक्रम देशभर में रहेगा और जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन भी 20 जनवरी तक चलता रहेगा। इसके बाद 23 जनवरी से लेकर 25 जनवरी तक राज्यों के राज भवन के सामने धरना प्रदर्शन होगा।

किसान नेता हनन मुल्ला ने एक बार फिर दोहराया कि 26 जनवरी पर जो किसान परेड का आयोजन है उससे गणतंत्र दिवस के उत्सव में कोई बाधा डालने का किसानों का कोई मकसद नहीं है। 26 जनवरी को देशभर में किसान परेड का आयोजन रखा गया है और यह कार्यक्रम गणतंत्र दिवस का मुख्य उत्सव समाप्त होने के बाद होगा। उन्होंने कहा किसान शांतिपूर्वक तरीके से प्रदर्शन कर रहा है और आगे भी उनका प्रदर्शन इसी प्रकार चलता रहेगा।

भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरेंद्र सिंह लाखोवाल ने भी बताया कि बुधवार को लोहड़ी के अवसर पर देशभर में किसान तीनों कानूनों की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा यह कानून किसानों के हित में नहीं है और इन्हें वापस ले लेना चाहिए।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को लेकर कें द्र सरकार को आड़े हाथों लिया था। मंगलवार को फिर इस मामले में शीर्ष अदालत में सुनवाई होनी है।

किसानों के मुद्दों पर अभय चौटाला ने दिया 'सशर्त' इस्तीफा

पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के पोते और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के विधायक अभय चौटाला ने सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष को 'सशर्त' इस्तीफा पत्र भेजा। उन्होंने पत्र में कहा है कि केंद्र सरकार अगर 26 जनवरी तक नए कृषि कानूनों को निरस्त करने में विफल रही तो हरियाणा विधानसभा से उनका इस्तीफा माना जाए।

वह विधानसभा में एकमात्र इनेलो विधायक हैं।

मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली राज्य की भाजपा सरकार में उनकी पार्टी से टूटा गुट जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) हम गठबंधन सहयोगी है।

जेजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पिछले 47 दिनों से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर धरना दे रहे किसानों के मुद्दे पर जनता में उदासीन हैं, चुप्पी साधे हुए हैं।

इनेलो और जेजेपी मुख्य रूप से ग्रामीण जाट समुदाय केंद्रित पार्टी है, जिसके किसान कोर वोट बैंक हैं। जाट, एक प्रमुख कृषक समुदाय है, जिसकी राज्य में आबादी 28 प्रतिशत है।

आईएएनएस
नई दिल्ली/चंडीगढ़


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