..मवेशियों को जब्त करने का नियम ‘पशु क्रूरता’

Last Updated 05 Jan 2021 01:39:06 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केन्द्र से कहा कि मुकदमों के दौरान कारोबारियों और ट्रांसपोर्टर्स के मवेशियों को जब्त करने संबंधी 2017 के नियमों को वापस ले या इसमें संशोधन करे क्योंकि ये पशुओं की क्रूरता से रोकथाम कानून के खिलाफ हैं।


उच्चतम न्यायालय

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि केन्द्र ने अगर इन नियमों को वापस नहीं लिया या इनमें संशोधन नहीं किया गया तो इन पर रोक लगा दी जाएगी क्योंकि कानून के तहत दोषी पाए जाने पर ही मवेशियों को जब्त किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि ये मवेशी संबंधित व्यक्तियों की आजीविका का साधन हैं।
पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल के. सूद से कहा कि सरकार आरोपी को दोषी ठहराये जाने से पहले ही इस तरह मवेशियों को जब्त करके नहीं रख सकती है। मामले की सुनवाई शुरू होते ही सूद ने पीठ को सूचित किया कि 2017 के नियमों को अधिसूचित किया जा चुका है।

पीठ ने कहा, ‘ये मवेशी आजीविका का साधन हैं। हम पालतू कुत्ते और बिल्लियों की बात नहीं कर रहे हैं। लोग अपने मवेशियों के सहारे जीते हैं। आप उन्हें व्यक्ति को दोषी ठहराये जाने से पहले ही जब्त करके नहीं रख सकते। आपके नियम कानून के विपरीत हैं। आप इन्हें वापस लें या हम इन पर रोक लगा देंगे।’ सूद ने कहा कि नियमों को अधिसूचित किया जा चुका है क्योंकि मवेशियों के साथ अत्याचार किया जा रहा था। पीठ ने कहा, ‘हम आपको यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि प्रावधान बहुत स्पष्ट है कि दोषी ठहराये जाने पर व्यक्ति अपना पशु गंवा देगा। आप नियम में संशोधन करें अथवा हम इस पर रोक लगा देंगे। हम ऐसी स्थिति नहीं रहने देंगे जिसमें नियम कानून के प्रावधानों के विपरीत चल रहे हों।’ अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ने इस मामले में आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिए सुनवाई एक सप्ताह स्थगित करने का अनुरोध किया जिसे पीठ ने स्वीकार कर लिया। इस मामले में अब 11 जनवरी को आगे सुनवाई होगी। पशुओं से क्रूरता की रोकथाम कानून, 1960 के तहत पशुओं से क्रूरता की रोकथाम (देखभाल और मुकदमे की संपत्ति का रखरखाव) नियम, 2017 बनाये गये थे जिन्हें 23 मई, 2017 को अधिसूचित किया गया था।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 17 अगस्त को केन्द्र से कहा था कि इन नियमों को अधिसूचित किये जाने के बारे में वक्तव्य दिया जाए। न्यायालय ने बुफैलो ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर दो जुलाई, 2019 को केन्द्र से जवाब मांगा था। इन कारोबारियों ने अपनी याचिका में 2017 के नियमों को चुनौती दी थी। इन कारोबारियों का आरोप था कि उन्हें जबरन उनके मवेशियों से वंचित किया जा रहा है और इन नियमों के तहत जब्त किए जा रहे मवेशियों को ‘गोशाला’ भेजा जा रहा है। याचिका में कहा गया था कि ये मवेशी अनेक परिवारों की जीविका का साधन हैं। एसोसिशएशन ने याचिका में आरोप लगाया था कि 2017 में बनाये गये नियम 1960 के कानून के दायरे से बाहर निकल गये हैं। मई, 2017 में बनाये गये इन नियमों के अनुसार इस कानून के तहत मुकदमों का सामना कर रहे व्यक्ति के मवेशियों को मजिस्ट्रेट जब्त कर सकते हैं।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment