बाल संरक्षण संस्थान के बच्चों को ‘सुप्रीम’ राहत

Last Updated 16 Dec 2020 01:29:34 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण बाल संरक्षण गृह छोड़ने के लिए विवश हुए बच्चों की शिक्षा के लिए दो हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाएं।


बाल संरक्षण संस्थान के बच्चों को ‘सुप्रीम’ राहत

जस्टिस एल नागेश्वर राव, हेमंत गुप्ता और अजय रस्तोगी की बेंच ने कहा कि बाल संरक्षण गृह में रह रहे बच्चों को भी ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराने का प्रबंध किया जाए। उनके लिए पुस्तकें और स्टेशनरी का इंतजाम किया जाए। संरक्षण गृह में बच्चों की शिक्षा के लिए अध्यापकों की भी व्यवस्था की जाए। अगले वर्ष आयोजित होने वाली अंतिम परीक्षाओं की तैयारी में बच्चों की मदद के लिए यदि आवश्यक हो तो अतिरिक्त कक्षाएं भी ली जानी चाहिए।

अदालत को बताया गया कि कोरोनाकाल से पहले देशभर के बाल संरक्षण गृहों में दो लाख 27 हजार 518 बच्चे थे। इनमें से एक लाख 45 हजार 788 बच्चों को उनके परिवार या अभिभावकों के पास भेज दिया गया है। अदालत ने कहा कि जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू) की सिफारिश पर दो हजार रुपए प्रतिमाह की धनराशि प्रदान की जाए। बच्चों के परिवार की आर्थिक स्थिति को देखकर यह राशि दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोविड-19 के कारण बाल संरक्षण गृह से अलग हुए बच्चों की शिक्षा को ध्यान में रखना जरूरी है। डीसीपीयू इन बच्चों की देखरेख का काम करे और जिला विधिक प्राधिकरण को बच्चों की प्रगति के बारे में सूचित करे। सुप्रीम कोर्ट ने दो अप्रैल को कोविड-19 महामारी के दौरान बाल सुधार गृहों की हालत पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी।

कोविड-19 महामारी के दौरान बाल सुधार गृहों में रह रहे बच्चों को उनके परिवार में वापस भेजने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से भी जवाब मांगा था।  अदालत ने न्याय मित्र गौरव अग्रवाल की उस रिपोर्ट पर संज्ञान लिया जिसमें कहा गया है कि आयोग ने 24 सितम्बर को कर्नाटक के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि बाल गृह में रह रहे बच्चों को उनके घर वापस भेजें।

 

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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