कृषि कानूनों को निरस्त और निष्प्रभावी करे सरकार : चिदंबरम
सितंबर में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन के बीच, पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने मंगलवार को कहा कि यह हैरान करने वाली बात है कि इस कड़ाके की ठंड में 20 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की बात सरकार नहीं सुन रही है, इन कानूनों को वापस न लेने पर अड़ी हुई है।
पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम |
पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा, "जब किसानों और सरकार के बीच कोई सहमति नहीं बनी, तब यह जरूरी है कि इन कानूनों को निरस्त कर सरकार संसद में नया विधेयक पारित कराए।"
चिदंबरम ने कहा कि आगे का सरल तरीका यह है कि वर्तमान कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए और समझौते के आधार पर एक नए कानून को फिर से लागू किया जाए। सरकार को अपने ऊंचे घोड़े से उतरना चाहिए और एक समझौते पर पहुंचना चाहिए।
आंदोलनकारी किसान अपने विरोध के 20वें दिन राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर डेरा जमाए हुए हैं। इस समय उनकी केंद्र सरकार से कोई बातचीत नहीं चल रही है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता अपनी आगे की रणनीति तय करने के लिए सिंघू बॉर्डर पर मंगलवार की शाम बैठक करने वाले हैं।
पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के महासचिव हरिंदर सिंह ने आईएएनएस को बताया कि आगे की रणनीति तय करने के लिए किसान नेता मंगलवार को सिंघू बॉर्डर पर बैठक करेंगे। हालांकि, जब उनसे केंद्र सरकार से बातचीत करने की संभावना के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अब तक सभी किसान संगठन यह मांग कर रहे हैं कि अगर सरकार तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने पर विचार करती है, तभी आगे की बातचीत हो सकती है।
सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों पर अड़ी है। उन्होंने कहा कि किसानों ने सरकार के प्रस्तावों को खारिज कर दिया है और कानूनों पर और बातचीत करने का कोई सवाल ही नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार की ओर से कोई नया प्रस्ताव आता है, तो आंदोलन में शामिल सभी किसान संगठनों के नेता इस पर सोचेंगे।
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