भारत और चीनी सैनिकों के पीछे हटने की राह कठिन

Last Updated 30 Jul 2020 12:18:01 AM IST

भारत और चीन के बीच विवादित सीमा पर सैनिकों के पीछे हटने की संभावनाएं कम और कठिन होती दिखाई दे रही हैं।


भारत और चीनी सैनिकों के पीछे हटने की राह कठिन

भारत का दावा है कि दोनों देशों के बीच हुई वार्ता में बनी सहमति के अनुसार चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान वापस नहीं लौटे हैं।

वहीं चीन का दावा है कि अधिकांश तनाव वाले बिंदुओं पर पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने मंगलवार को बीजिंग में कहा कि पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी हो गई है।

दोनों देशों के सैन्य प्रतिनिधियों ने विवाद को हल करने के लिए फिर से बातचीत करने की योजना बनाई है।



भारत ने क्षेत्र में चीनी तैनाती की बराबरी के लिए विवादित स्थानों पर लगभग 35,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है। भारतीय सेना उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में कठोर सर्दियों की तैयारी कर रही है।

भारत सरकार ने कहा है कि चीनी सैनिक तनाव वाले बिंदुओं से पीछे नहीं हटे हैं। गोगरा और पैंगोंग झील और देपसांग में जमीनी स्तर पर बहुत कुछ नहीं बदला है। पैंगोंग झील और हॉट स्प्रिंग्स-गोगरा क्षेत्र जो गश्ती प्वाइंट 17 ए का हिस्सा है, अभी भी अस्थिर है।

पैंगोंग झील के पास चीनी सैनिक फिंगर 4 से फिंगर 5 के क्षेत्र से वापस चले गए हैं, लेकिन वे अभी भी माउंटेन स्पर्स पर बने हुए हैं। यही नहीं, चीनी सैनिक फिंगर 5 और फिंगर 8 के बीच अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं।

14 जुलाई को कोर कमांडर-स्तरीय बैठक के दौरान यह स्पष्ट किया गया कि चीनी पीएलए के सैनिक पीछे हटने के रोडमैप का अनुपालन नहीं कर रहा है।

भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान ने कहा कि चीनी थोड़ा पीछे हटे और फिर वापस लौट आए, इसलिए भारतीय और चीनी सैन्य दलों के बीच बैठकों के दौरान प्राप्त आम सहमति के निरंतर सत्यापन की आवश्यकता है।

दोनों देशों की सेना सीमा से सटे कई बिंदुओं पर 10 सप्ताह से आमने-सामने हैं।

चीन ने भारतीय क्षेत्र के अंदर घुसते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की यथास्थिति बदलने का प्रयास किया है। इस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है और चीन के साथ सभी स्तरों पर मामले को उठाया जा रहा है।

दोनों देशों के सैनिकों के बीच 15 जून की रात गलवान घाटी में हिंसक झड़प होने के बाद स्थिति काफी तनावपूर्ण है। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और चीन के भी कई सैनिकों के मारे जाने की खबरें हैं। हालांकि चीन ने अभी तक अपने हताहत हुए सैनिकों की संख्या के संबंध में चुप्पी साध रखी है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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