अफगानिस्तान के हालात पर पैनी नजर है भारत की
भारत ने अमेरिका एवं तालिबान के बीच हुए समझौते की कामयाबी की संभावना पर फिलहाल चुप्पी साध ली है और ‘देखो एवं प्रतीक्षा करो’ की नीति पर आगे बढ़ने का फैसला किया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार |
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यहां नियमित ब्रीफिंग में एक सवाल के जवाब में कहा कि तालिबान और अमेरिका के बीच समझौते तथा अफगान सरकार एवं अमेरिका सरकार के संयुक्त वक्तव्य के बाद से भारत का रुख एकसमान रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान की सरकार एवं लोगों को उनकी शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक एवं समृद्ध भविष्य की आकांक्षाओं की पूर्ति के प्रयासों को पूरा समर्थन देगा जिसमें अफगान समाज के सभी वगरें के हित संरक्षित रहें।
श्री कुमार ने कहा कि चूंकि समझौते पर हाल ही में हस्ताक्षर किये गये हैं। हमने देखा है कि अफगानिस्तान के समूचे राजनीतिक परिदृश्य ने शांति एवं स्थिरता के इस अवसर का स्वागत किया है। भारत ने हमेशा ही ऐसे अवसरों का समर्थन किया है जिनसे हिंसा समाप्त हो और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से उनका संपर्क खत्म हो। हमें मालूम है कि समझौता यही अवसर मुहैया कराता है। पूरी स्थिति पर हमारी पैनी नजर है।
प्रवक्ता ने अफगानिस्तान में तालिबान एवं अमेरिका के बीच समझौते के बाद हिंसा होने से इस समझौते की सफलता और भारत के रुख के बारे में पूछे गये एक सवाल का जवाब में यह कहा।
दिल्ली की हिंसा पर तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एदरेगन के बयान के बारे में पूछने पर प्रवक्ता ने कहा कि दिल्ली में स्थिति तेजी से सामान्य हो रही है। सुरक्षा एजेंसियां कानून व्यवस्था एवं आपसी विश्वास की बहाली के लिए काम कर रहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शांति एवं भाईचारे की बात कही है। इस संवेदनशील वक्त में हमारी लोगों से अपील है कि वे गैरजिम्मेदाराना बयान नहीं दें और ना ही निराधार बातों में विश्वास करें।
उन्होंने कहा कि तुर्की के राष्ट्रपति की टिप्पणियां तथ्यात्मक रूप से गलत हैं और वे उनके राजनीतिक एजेंडे पर आधारित हैं। तीन मार्च को तुर्की के राजदूत को इस बारे में एक कड़ा विरोध पा सौंपा गया है।
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