दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा, कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित

Last Updated 03 Mar 2020 11:51:53 AM IST

दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा कराने की विपक्षी दलों की मांग को लेकर मंगलवार को भी गतिरोध बरकरार रहा। उच्च सदन में इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग से विपक्षी दलों के अड़े रहने के कारण सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद अपराह्न तीन बजकर लगभग दस मिनट पर दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।


उल्लेखनीय है कि बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन सोमवार को भी इसी मुद्दे पर उच्च सदन की कार्यवाही बाधित रही थी।             

मंगलवार को दो बार के स्थगन के बाद दोपहर तीन बजे सदन की बैठक शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने दिल्ली में हिंसा के मुद्दे पर चर्चा कराने की विपक्षी दलों की मांग पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद से अपनी बात रखने को कहा।         

आजाद ने कहा, ‘‘दिल्ली में हिंसा की घटनाओं की सत्तापक्ष और विपक्ष, सभी ने निंदा की है। इस घटना की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है और हमारी संसद जब चल रही हो तब संसद में ही चर्चा ना हो, यह अटपटा लगता है।’’        

उन्होंने कहा कि दिल्ली की हिंसा में अधिकतर युवा मारे गये हैं। हम सब चाहते हैं कि सदन में इस बात पर विचार किया जाए कि जो मानव संपदा का नुकसान हुआ है, उसकी पुनरावृत्ति फिर से न हो, इसलिये इस विषय पर अभी चर्चा कराना जरूरी है।         

आजाद ने सत्तापक्ष से अपील की कि सरकार यह न सोचे कि चर्चा कराने से दिल्ली में हालात और अधिक बिगड़ जायेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी लोग अपनी जिम्मेदारी से वाकिफ हैं, इसलिये कोई भी सदस्य चर्चा में ऐसी कोई बात नहीं कहेगा जिसका संसद से बाहर नकारात्मक संदेश जाए।’’     

उन्होंने चर्चा को टालने के बारे में कहा, ‘‘सिरदर्द आज है तो फिर एक सप्ताह बाद दवा खाने की सलाह देना उचित नहीं है। इसलिए सोमवार को सदन की बैठक की शुरुआत ही इस मुद्दे पर चर्चा के साथ होनी चाहिये थी।’’        

इस पर नेता सदन थावरचंद गहलोत ने कहा कि सरकार चर्चा से भाग नहीं रही है। सभापति द्वारा जब भी चर्चा का समय नियत किया जाए, उस समय सरकार चर्चा के लिये तैयार है।     

उपसभापति हरिवंश ने कहा कि अगर सत्तापक्ष और विपक्ष चर्चा के मुद्दे पर एकमत हैं तो दोनों पक्षों को सभापति से मिलकर चर्चा का समय तय करना चाहिये। उन्होंने इस बीच सदन की कार्यवाही में शामिल अन्य कार्यों को पूरा करने की जरूरत पर बल दिया।         

राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने सुझाव दिया कि पहले चर्चा हो, बाकी काम बाद में हो, जिससे सदन से संदेश जाए कि हमारे लिए नागरिकों का हित सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि चर्चा या तो अभी शुरू करायी जाए या बुधवार को 11 बजे कराने की घोषणा कर सदन की बैठक दिन भर के लिये स्थगित कर दी जाए।         

इस पर भाजपा के भूपेन्द्र यादव ने कहा कि नियम 258 के तहत सदन की कार्यवाही के निर्धारण का अंतिम अधिकार सभापति के पास है। इसलिये सदस्यों द्वारा तय समय पर ही चर्चा कराने का आसन पर दबाव नहीं डाला जाना चाहिए। टीआरएस सदस्य के केशव राव ने भी कहा कि चर्चा अभी शुरू करायी जाए या बुधवार को, लेकिन सदन की कार्यवाही में शामिल किसी अन्य काम को दिल्ली में हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के बाद ही किया जाए।         

इसके बाद उपसभापति ने सदन की बैठक बुधवार को पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिये स्थगित कर दी।         

इससे पहले एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे सदन की बैठक शुरू होने पर हरिवंश ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये।         

इसके बाद उन्होंने केन्द्रीय संस्कृत विश्विविद्यालय विधेयक 2019 पर चर्चा आगे बढ़ाने के लिए कहा। जदयू सदस्य कहकशां परवीन ने बोलना शुरू भी किया लेकिन इसी दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों ने दिल्ली में हिंसा मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग शुरू कर दी।        

शोरगुल के बीच ही नेता सदन गहलोत ने कहा कि दिल्ली में चार दिनों से शांति है। स्थिति सामान्य है, लेकिन अगर सदन इस विषय पर चर्चा कराना चाहता है तो सरकार चर्चा के लिये तैयार है। उन्होंने कहा कि सभापति चर्चा के लिए जो भी समय निर्धारित करेंगे, सरकार उस समय चर्चा के लिए तैयार है।        

इस पर आजाद ने कहा कि दिल्ली की घटना सत्तापक्ष या विपक्ष के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए गंभीर है। सरकार कहती है कि दिल्ली में अब स्थिति सामान्य है। यदि ऐसा है तो इस समय चर्चा कराने में क्या हर्ज है? उन्होंने कहा कि सरकार पहले यह स्पष्ट करे कि दिल्ली में हालात सामान्य हुए हैं या नहीं।         

इस बीच अन्य दलों के सदस्यों ने भी बोलने की कोशिश की। हंगामे को देखते हुए उपसभापति ने सदन की बैठक दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी।     

इससे पहले सुबह सभापति एम वेंकैया नायडू ने जरूरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाना शुरू किया। इस क्रम में तीसरा नाम वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर का था। ठाकुर जैसे ही दस्तावेज सदन के पटल पर रखने के लिए खड़े हुए, कांग्रेस सहित सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने ठाकुर के कथित बयान को लेकर टिप्पणी शुरू कर दी। 

इस पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आपत्ति जतायी। इसके बाद कांग्रेस, द्रमुक सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों की सत्ता पक्ष के सदस्यों से नोंकझोंक हुयी। 

सभापति नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि कोई भी नारेबाजी या टिप्पणी रिकार्ड में नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्य नहीं चाहते कि सदन चले, वे बहस भी नहीं चाहते, वे शून्यकाल भी नहीं चाहते। ऐसे में उनके पास सदन को स्थगित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। 

सदन में हो रहे शोर का जिक्र करते हुए सभापति ने कहा कि यही वजह है कि वह चर्चा के लिए तत्काल सहमत नहीं हुए। उन्होंने सदस्यों से शांत होने और सदन चलने देने की अपील की। लेकिन अपनी अपील का कोई असर नहीं होते देख उन्होंने 11 बजकर करीब पांच मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

भाषा
नयी दिल्ली


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