निर्भया केस: दोषी पवन ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल की
निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे दोषी पवन कुमार गुप्ता ने सोमवार को भारत के राष्ट्रपति के समक्ष एक दया याचिका दाखिल की।
पवन कुमार गुप्ता (फाइल फोटो) |
उसके वकील एपी सिंह ने यह जानकारी दी।
वकील ने बताया कि उसने (गुप्ता) सुप्रीम कोर्ट से अपनी सुधारात्मक याचिका खारिज होने की सूचना मिलने के बाद याचिका दाखिल की।
इससे पहले दिन में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि दोषी गुप्ता द्वारा दायर सुधारात्मक याचिका का कोई आधार नहीं है।
सभी दोषियों को मंगलवार को फांसी दी जानी है।
न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पवन की सुधारात्मक याचिका पर विचार किया था। इसी पीठ ने फांसी पर रोक लगाने की पवन की अर्जी भी खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "फांसी पर रोक की अर्जी खारिज की जाती है। सुधारात्मक याचिका खारिज की जाती है।"
SC ने खारिज की पवन की क्यूरेटिव पिटीशन
पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल थे।
पवन कुमार ने सुधारात्मक याचिका में मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने की अपील की थी। उसने मृत्यु होने तक दोषी को फांसी पर लटकाने के लिये निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने की भी गुहार की थी।
निचली अदालत ने 17 फरवरी को नया फरमान जारी कर चारों दोषियों मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार की फांसी मंगलवार की सुबह छह बजे मुकर्रर की थी।
राष्ट्रपति अन्य तीन दोषियों मुकेश, विनय और अक्षय की दया याचिका पहले ही खारिज कर चुके हैं।
इससे पहले मुकेश और विनय ने अपनी याचिकाओं को खारिज करने के राष्ट्रपति के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग चुनौती दी थी, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
वहीं अक्षय ने अपनी दया याचिका खारिज होने को चुनौती नहीं दी जबकि पवन ने अभी तक राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर नहीं की है।
गौरतलब है कि 16-17 दिसंबर 2012 की रात फिथिजियोरेपी की 23 वर्षीय छात्रा से दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था और लगभग 15 दिन बाद मौत हो गई थी। बाद में मृतक को निर्भया नाम दिया गया था।
इस मामले में मुकेश, पवन, विनय, अक्षय कुमार और एक किशोर समेत छह लोग आरोपी थे। छठे आरोपी राम सिंह ने मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद कथित रूप से तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। वहीं किशोर को तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था।
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