लोकसभा में कांग्रेस और BJP सदस्यों में धक्का-मुक्की

Last Updated 02 Mar 2020 11:24:35 AM IST

लोकसभा में विपक्ष के सदस्यों ने दिल्ली में पिछले दिनों हुई हिंसा के कारण गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफा की मांग करते हुए भारी हंगामा किया और इस दौरान कांग्रेस और भाजपा सदस्यों के बीच धक्का मुक्की भी हुई।


हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद अपराह्न चार बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।         

बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन सोमवार को सदन की बैठक पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होने पर पिछले दिनों बिहार के वाल्मीकि नगर से जदयू सदस्य वैद्यनाथ प्रसाद महतो के निधन के कारण उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद उनके सम्मान में बैठक को दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दिया गया।  

सदन की कार्यवाही दो बजे शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आवश्यक कागजात सभा पटल पर रखवाये और कुछ विधेयक भी पेश किये गए। इस दौरान कांग्रेस और द्रमुक सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप आकर दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करते हुए नारे लगाने लगे।  

कांग्रेस सदस्यों के हाथों में पोस्टर थे जिन पर ‘गृह मंत्री इस्तीफा दो’, ‘सेव इंडिया’, अमित शाह इस्तीफा दो’ के नारे लिखे थे। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य अपने स्थान से ही नारेबाजी कर रहे थे।   

हंगामे के बीच ही अध्यक्ष ने प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, 2020 पर चर्चा शुरू करवाने का निर्देश दिया।  

भाजपा के संजय जायसवाल जब चर्चा में हिस्सा ले रहे थे तभी कांग्रेस के गौरव गोगोई, रवनीत सिंह बिट्टू ‘गृह मंत्री इस्तीफा दो’ लिखा बैनर लेकर सत्तापक्ष की सीटों के पास आ गए। फिर विपक्ष के सदस्य जायसवाल के सामने बैनर लेकर आ गए जो उस समय विधेयक के बारे में बोल रहे थे।   

जायसवाल को इस तरह से बाधित किये जाने का भाजपा सदस्यों ने विरोध किया और कांग्रेस सदस्यों से वहां से जाने को कहा। लेकिन जब विपक्ष के सदस्य वहां से नहीं हटे तो सत्ता पक्ष के कुछ सदस्य उनको वहां से हटाने की मांग करते हुए उनके पास गये। इसके बाद कांग्रेस और भाजपा सदस्यों में धक्का मुक्की शुरू हो गई।         

इस दौरान केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और स्मृति ईरानी को आपस में उलझे विपक्ष और सत्ता पक्ष के सदस्यों के बीच बचाव करते देखा गया।          

विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की बैठक अपराह्न तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।     

तीन बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। हंगामा थमता नहीं देख पीठासीन सभापति रमा देवी ने सदन की कार्यवाही चार बजे तक के लिये स्थगित कर दी।   

रमा देवी ने कांग्रेस सदस्यों से नाराजगी जताते हुए कहा कि आप लोगों ने बहुत गलत किया है।

दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा, राज्यसभा दिन भर रही बाधित

राज्यसभा में विपक्ष के सदस्यों ने दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर सोमवार को चर्चा कराने की मांग पर भारी हंगामा किया जिसके कारण सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर करीब ढाई बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।         

बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन सभापति एम वेंकैया नायडू ने बैठक शुरू होने पर सूचीबद्ध दस्तावेज सदन पटल पर प्रस्तुत कराने के बाद बताया कि उन्हें विभिन्न दलों के सदस्यों की ओर से दिल्ली और देश के अन्य इलाकों में कानून व्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर चर्चा कराने की मांग कराने संबंधी नोटिस मिले हैं। उन्होंने कहा कि यद्यपि यह विषय मत्वपूर्ण है इसलिये इस पर चर्चा होनी चाहिये लेकिन दिल्ली में अब सामान्य हालात बहाल हो गये हैं।         

नायडू ने कहा कि वह इस विषय पर नेता सदन, नेता प्रतिपक्ष और संबद्ध मंत्रियों से विचार विमर्श करने के बाद ही चर्चा का समय तय करेंगे। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने अपने स्थान पर खड़े होकर इसका विरोध करते हुये इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा कराने की मांग की।         

आजाद ने कहा कि अगर सामान्य हालात बहाल करने में सरकार की रुचि होती तो हिंसा शुरू होने के बाद तीन दिन तक सरकार निष्क्रिय न रहती। आजाद के इस कथन का विरोध करते हुये नेता सदन थावर चंद गहलोत ने कहा कि सरकार की सक्रियता के कारण ही दिल्ली में कानून व्यवस्था की सामान्य स्थिति बहाल हुई है और अब सभी इलाकों में शांति है। इस बीच तृणमूल कांग्रेस की शांता क्षेत्री सहित पार्टी के तीन सदस्य आंख पर काली पट्टी बांध कर अपने स्थान पर खड़े हो गये। नायडू ने कहा कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन की सदन में अनुमति नहीं दी जा सकती।         

सदन में चर्चा कराने की मांग करते हुये आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और कांग्रेस के कुछ सदस्यों को आसन के करीब आते देख नायडू ने सदन की बैठक दोपहर दो बजे तक के लिये स्थगित कर दी। उल्लेखनीय है कि माकपा के टी के रंगराजन, के के रागेश और आप के संजय सिंह ने दिल्ली में हिंसा के मुद्दे पर नियम 267 के तहत कार्यस्थगन का नोटिस देकर इस विषय पर चर्चा कराने की मांग की थी।          

हंगामा थमते न देख नायडू ने बैठक को दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दिया।        

दोपहर दो बजे बैठक फिर शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए पेश करने को कहा। इसी बीच आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस और कई वाम सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे।   

     

हंगामे के बीच ही मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने विधेयक को चर्चा के लिए रखा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिये देश के तीन मानद् संस्कृत विश्वविद्यालयों को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है।        

इसके बाद विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के सत्यनारायण जटिया ने कहा कि इन विश्वविद्यालयों को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने से देश में संस्कृत शिक्षण को काफी प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत भारत के प्राचीन ज्ञान-विज्ञान की भाषा है।        

विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण निशंक और जटिया की बात स्पष्ट नहीं सुनी जा सकी।        

हंगामा थमते न देख उपसभापति ने बैठक को दोपहर करीब ढाई बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।

भाषा
नयी दिल्ली


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