निर्भया मामला: अदालत ने दोषी को वकील उपलब्ध कराने की पेशकश की

Last Updated 12 Feb 2020 06:09:58 PM IST

दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में मौत की सजा सुनाए गए चार दोषियों में से एक पवन गुप्ता को बुधवार को एक वकील उपलब्ध कराने की पेशकश की।


निर्भया मामला: अदालत की दोषी को वकील उपलब्ध कराने की पेशकश

दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि सजाए मौत का सामना कर रहा कोई भी दोषी अपनी अंतिम सांस तक कानूनी सहायता पाने का हकदार है।      

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने पवन की ओर से विलंब करने पर नाराजगी जताई जिसने कहा कि उसने अपने पहले वाले वकील को हटा दिया है और नया वकील करने के लिए उसे समय चाहिए।      

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने पवन के पिता को वकील चुनने के लिए अपने पैनल में शामिल अधिवक्ताओं की एक सूची उपलब्ध कराई।      

पवन ने अब तक सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है। उसके पास दया याचिका दायर करने का भी विकल्प है।      

निर्भया के माता-पिता और दिल्ली सरकार ने मंगलवार को अदालत का रूख कर दोषियों के खिलाफ नया मृत्यु वारंट जारी करने का अनुरोध किया था।    

मुकेश कुमारसिंह (32)ए पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जानी थी।       

दूसरी बार मृत्यु वारंट पर तामील टाली गई थी। पहली बार चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने का मृत्यु वारंट जारी किया गया था। इस पर 17 जनवरी को स्थगन दिया गया था। उसी दिन फिर उन्हें एक फरवरी को फांसी देने के लिए दूसरा वारंट जारी किया गया जिस पर अदालत ने 31 जनवरी को ‘‘अगले आदेशों तक’’ रोक लगा दी थी।      

एक निचली अदालत ने निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के दोषियों को फांसी देने के लिए नयी तारीख की मांग करने वाली दिल्ली सरकार और तिहाड़ जेल प्रशासन की याचिका सात फरवरी को खारिज कर दी थी।      

अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पांच फरवरी के उस आदेश पर गौर किया, जिसमें चारों दोषियों को एक सप्ताह के भीतर कानूनी विकल्पों का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी।      

अदालत ने कहा था, ‘‘जब दोषियों को कानून जीवित रहने की इजाजत देता है, तब उन्हें फांसी पर चढाना पाप है। उच्च न्यायालय ने पांच फरवरी को न्याय के हित में दोषियों को इस आदेश के एक सप्ताह के अंदर अपने कानूनी विकल्पों का उपयोग करने की इजाजत दी थी।’’      

न्यायाधीश ने कहा था, ‘‘मैं दोषियों के वकील की इस दलील से सहमत हूं कि महज संदेह और अटकलबाजी के आधार पर मौत के वांरट की तामील नहीं की जा सकती है। इस तरह, यह याचिका खारिज की जाती है। जब भी जरूरी हो तो सरकार उपयुक्त अर्जी देने के लिए स्वतंत्र है।’’      

गौरतलब है कि 16 दिसंबर, 2012 की रात को दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार और बर्बरता की गयी थी। सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी थी।      

इन चार दोषियों समेत छह लोगों के नाम आरोपियों में शामिल थे। इन चारों के अलावा रामसिंह और एक किशोर का नाम आरोपियों में था।      

इन पांच वयस्क पुरुषों के खिलाफ मार्च 2013 में विशेष त्वरित अदालत में सुनवाई शुरू हुई थी।   

  

रामसिंह ने सुनवाई शुरू होने के कुछ दिनों बाद तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। किशोर को तीन साल के लिए सुधार गृह भेजा गया था।      

किशोर को 2015 में रिहा किया गया और उसके जीवन को खतरे के मद्देनजर उसे किसी अज्ञात स्थान पर भेजा गया। जब उसे रिहा किया गया, तब वह 20 साल का था।      

मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को निचली अदालत ने सितम्बर 2013 में मौत की सजा सुनाई थी।

भाषा
नयी दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment