सरकार की नीतियों के खिलाफ 10 ट्रेड यूनियंस का भारत बंद का मिला जुला रहा असर
सरकार की कथित राष्ट्र विरोधी और जन विरोधी आर्थिक नीतियों के खिलाफ वाम समर्थक 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों के बुधवार को आयोजित किए गए साल की पहली राष्ट्रव्यापी हड़ताल ‘भारत बंद’ का मिला-जुला असर देखा गया।
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देशभर में निजी वाहनों का परिचालन नहीं हुआ और यातायात, बिजली तथा बैंकिंग सेवायें बाधित रही। औद्योगिक क्षेत्रों में कामकाज नहीं हुआ और प्रमुख बाजार बंद रहे। हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, तेलंगाना, केरल, पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश आदि से मजदूरों के धरने प्रदर्शन तथा जनसभायें करने के समाचार मिलें हैं।
हड़ताल से आम जन जीवन आंशिक रुप से प्रभावित हुआ है। इसमें बैंकिंग, औद्योगिक के अलावा परिवहन तथा सेवा क्षेत्र के कामगार भी शामिल हैं। निजी टैक्सी सेवा ओला, उबर और आटो रिक्शा के संगठनों ने भी हड़ताल का समर्थन किया।
श्रमिक संगठन सभी लोगों को रोजगार, सार्वभौमिक रुप से राशन, स्वास्थ्य तथा शिक्षा, न्यूनतम मजदूरी 21 हजार प्रति माह, किसानों को कृषि उपजों के उचित मूल्य और सभी को कम से कम 10 हजार रुपए प्रति माह पेंशन देने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा नागरिकता संशोधन कानून, श्रम संहितायें, सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण करने की योजनाओं को वापस लेना भी इनके प्रमुख मुद्दों में शामिल हैं।
भारत बंद का आयोजन इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिन्द मजदूर सभा, सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस, ऑल इंडिया यूनाईटेड ट्रेड यूनियन सेंटर, ट्रेड यूनियन कार्डिनेशन सेंटर, सेल्फ इम्प्लॉयड वीमेंस एसोसियेशन, ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन और यूनाईटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस से जुड़े श्रमिक संघ हिस्सा ले रहे हैं। हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने ‘भारत बंद’ का समर्थन नहीं किया है। भारत बंद में विभिन्न उद्योग क्षेत्रों और समाज के विभिन्न तबकों के तकरीबन 25 करोड़ लोगों के भाग लेने का दावा किया गया है।
A protest march underway in Delhi. Ten trade unions have called for #BharatBandh today against 'anti-worker policies of Central Govt' pic.twitter.com/9izGlmbAvp
— ANI (@ANI) January 8, 2020
सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) ने कहा है कि सरकारी कंपनियों और बैंकों का निजीकरण रोकने, न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने, सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने तथा उदारीकरण तथा सुधार संबंधी आर्थिक नीतियों पर सरकार के साथ बातचीत विफल होने पर राष्ट्र व्यापी हड़ताल ‘ भारत बंद’ का आयोजन किया है। हालांकि चिकित्सा, खाद्य पदाथरें, अग्नि सेवा तथा जलापूर्ति जैसी आवश्यक सेवाओं को हड़ताल से बाहर रखा गया है।
श्रमिक नेताओं का कहना है कि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार के साथ बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल सका इसलिए मजदूरों को सड़क पर उतरना पड़ रहा है। पिछले सप्ताह तक हुई बैठकों में कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ सका। बातचीत के दौरान श्रमिक संघों ने सरकारी कंपनियों के विलय, विनिवेश और निजीकरण के मुद्दे उठायें लेकिन सरकार कोई ठोस आासन नहीं दे सकी।
रांची से मिले समाचारों के अनुसार झारखंड का कोयला उद्योग प्रभावित हुआ है। धनबाद में कोयला खनन कंपनियों भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) और ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (ईसीएल) की खदानों पर असर पड़ा। हड़ताल को सफल बनाने के लिए श्रमिक संगठन से जुड़े मजदूर, कर्मचारी और नेता कोयला खदानों के बाहर काफी सक्रिय दिखे। सभी जिला मुख्यालयों की बैंक शाखाओं में कामकाज नहीं होने से लेनदेन प्रभावित हुआ है।
कोडरमा ताप विद्युत संयंत्र के मजदूरों ने संयंत्र के मुख्य द्वार पर हड़ताल को लेकर प्रदर्शन किया। हड़ताल के कारण संयां से बिजली उत्पादन के प्रभावित होने की आशंका है। गिरिडीह में बंद के समर्थन में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा) मामले के समर्थकों ने जुलूस निकाला। इसके अलावा हजारीबाग, देवघर, साहेबगंज, दुमका, गोड्डा, लोहरदगा, लातेहार, सिमडेगा, चतरा समेत कई जिलों में बंद का असर नहीं देखा गया। हालांकि पलामू में हड़ताल के समर्थन में कर्मचारी संगठनों ने धरना दिया। मेदनीनगर स्थित प्रधान डाकघर के बाहर डाक कर्मचारियों ने धरना दिया।
West Bengal: Four crude bombs recovered by Police from railway track near Hridaypur station in North 24 Parganas. pic.twitter.com/TUT0dXiV62
— ANI (@ANI) January 8, 2020
लखनऊ से प्राप्त रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरानी पेंशन बहाली की मांग और बिजली का लगातार निजीकरण किये जाने के विरोध में पूरे देश के करीब 15 लाख कर्मचारी और इंजीनियर्स की हड़ताल पर हैं।
आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र दूबे ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार बिजली का लगातार निजीकरण रही है जिससे इसकी लागत बढ़ रही है जिसका बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है। हड़ताल का आहवान नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलाईज और इंजीनियर्स ने किया है जिसमें उत्तरप्रदेश, केरल, तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, असम, बिहार और झारखंड के कर्मचारी शामिल हुये हैं।
बिहार में रेल और सड़क यातातयात बाधित रहा और कई छोटे-बड़े प्रतिष्ठान भी बंद देखे गए। राजधानी पटना में हड़ताल का मिलाजुला असर देखा जा रहा है। सड़कों पर आम दिनों के मुकाबले कम वाहन देखे जा रहे हैं। इस हड़ताल को ऑटो रिक्शा चालक संघ का भी समर्थन हासिल है।
बंद को लेकर पटना जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये हैं। राजधानी के प्रमुख डाकबंगला चौराहा और पटना जंक्शन के निकट अतिरिक्त पुलिस बलों की तैनाती की गयी है। बैंक और बीमा कंपनी के कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने के कारण आम दिनों की तरह सड़कों पर भीड़-भाड़ नहीं देखी जा रही है।
West Bengal: Protesters also block railway track in Kanchrapara,North 24 Parganas. Ten trade unions have called for #BharatBandh today against 'anti-worker policies of Central Govt' https://t.co/NkSTHTirXv pic.twitter.com/bbTf9Xydhh
— ANI (@ANI) January 8, 2020
राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आहवान के कारण पंजाब के जालंधर जिले में पूर्ण बंद के कारण कामकाज प्रभावित रहा। पंजाब रोड़वेज, बैंक कर्मचारी और ट्रेड यूनियनों के हजारों कर्मचारी हड़ताल पर है। मजदूर संगठनों द्वारा जालंधर में कई स्थानों पर रास्तों को रोक देने के कारण बस तथा रेल यातायात प्रभावित है। किसानों ने फल, सब्जियों और दूध की आपूर्ति को बाधित कर रखा है। भारतीय जीवन बीमा निगम, सहकारी बैंक, आरबीआई, एफएमआरएआई (मेडिकल) आरबीएस और पीएसयू की यूनियनों ने भी हड़ताल का आवान किया है।
मध्यप्रदेश में भी विभिन्न श्रमिक संगठनों के कर्मचारी और श्रमिक हड़ताल पर हैं। राजधानी भोपाल के एम पी नगर में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स रीजनल ऑफिस सामने प्रदर्शन, रैली और सभा का आयोजन किया गया।
केरल में परिवहन व्यवस्था बाधित होने की खबर मिली है। तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में मजदूर संगठनों ने प्रदर्शन किया और रैलियां निकाली। दोनों राज्यों में परिवहन व्यवस्था बाधित रही। बिजली और बैंकिंग तथा बीमा सेवाओं पर असर देखा गया।
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