सैनिकों की सुरक्षा को लेकर सरकार का बड़ा फैसला, अब हवाई मार्ग से जाएंगे सभी जवान
पुलवामा हमले के बाद केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए केन्द्रीय पुलिस बल के जवानों को दिल्ली-श्रीनगर, श्रीनगर-दिल्ली, जम्मू-श्रीनगर और श्रीनगर-जम्मू सेक्टरों में हवाई मार्ग से या की मंजूरी दे दी है।
केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह (फाइल फोटो) |
केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज यहां यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि अब केन्द्रीय पुलिस बलों के जवान भी हवाई मार्ग से यात्रा करने के पात्र होंगे।
गत 14 फरवरी को श्रीनगर के निकट पुलवामा में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले की एक बस पर आतंकवादी हमले में 40 जवानों के शहीद होने के बाद इन जवानों के सड़क मार्ग से यात्रा को लेकर सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था।
सिंह ने कहा कि इस निर्णय से सिपाही, हेड कांस्टेबल और सहायक उप-निरीक्षक पद पर तैनात केन्द्रीय पुलिस बलों के 78 हजार कर्मियों को तुरंत फायदा मिलेगा। इस पद पर तैनात कर्मचारियों को पहले हवाई मार्ग से या करने की मंजूरी नहीं थी। यह मंजूरी ड्यूटी के साथ-साथ अवकाश पर आने-जाने के लिए भी दी गयी है।
सिंह ने कहा कि केन्द्रीय पुलिस बलों के लिए यह सुविधा पहले से ही मौजूद एयर कुरियर सर्विस के अतिरिक्त होगी । यह निर्णय जवानों की सुरक्षा और आने-जाने में लगने वाले समय में कमी के मद्देनजर उठाया गया है।
सरकार ने पहले जम्मू और कश्मीर सेक्टर के जम्मू-श्रीनगर-जम्मू क्षेत्र में केन्द्रीय पुलिस बलों के लिए एयर कुरियर सर्विस की शुरूआत की थी। बाद में दिसम्बर 2017 में इसे दिल्ली-जम्मू, जम्मू-श्रीनगर, श्रीनगर-जम्मू और जम्मू-श्रीनगर सेक्टरों में भी बढा दिया गया। दिसम्बर 2018 में इन सेक्टरों में उडानों की संख्या को बढाया गया। जरूरत पड़ने पर वायु सेना भी अर्ध सैनिक बलों के जवानों को कुरियर सेवा का लाभ देती रही है।
उल्लेखनीय है कि पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले में 78 बसें शामिल थी जिनमें ढाई हजार से अधिक जवान सफर कर रहे थे। ये जवान जम्मू से श्रीनगर जा रहे थे और इनमें से अधिकतर अवकाश खत्म कर काम पर लौट रहे थे।
यह काफिला सुबह साढे पांच बजे रवाना हुआ था और इसे शाम करीब छह बजे श्रीनगर पहुंचना था। शाम सवा तीन बजे के करीब एक आतंकवादी ने पुलवामा के निकट विस्फोटक सामग्री से लदी एक कार को काफिले की बस से टकरा दिया। इससे हुए भीषण विस्फोट में 40 जवान शहीद हो गये और कुछ अन्य घायल हो गये। हमले के बाद इस बात को लेकर काफी बहस हुई थी कि जवानों की सुरक्षा को देखते हुए इन्हें हवाई मार्ग से लाया ले जाया जाना चाहिए।
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