सीबीआई मुझसे सवाल करे, मेरे बेटे को परेशान ना करे : पी चिदंबरम
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि एयरसेल-मैक्सिस मामले में सीबीआई को मेरे बेटे को परेशान करने की बजाय मुझसे पूछताछ करनी चाहिए. उनका आरोप है कि जांच एजेंसी गलत सूचना फैला रही है.
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (फाइल फोटो) |
केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने 2006 में हुये एयरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश को मंजूरी देने के सिलसिले में कल पूछताछ के लिए कार्ति को बुलाया था. यह मंजूरी उस समय दी गयी थी जब उनके पिता चिदंबरम वित्त मंत्री थे.
कार्ति ने सीबीआई के जांच जारी रहने के दावे का खंडन करते हुये उसके समक्ष पेश होने से इंकार कर दिया था और कहा था कि एक विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया था और इस मामले की सुनवाई समाप्त हो चुकी है.
पी चिदंबरम ने एक के बाद एक किये गये ट्विट के जरिए कहा, एयरसेल-मैक्सिस में, एफआईपीबी ने सिफारिश की थी और मैंने उस कार्यवाही के के विवरण (मिनिट्स( को मंजूरी दी थी. सीबीआई को मुझसे पूछताछ करनी चाहिए और कार्ति चिदंबरम को परेशान नहीं करना चाहिए.
In Aircel-Maxis, FIPB recommended and I approved minutes. CBI should question me and not harass Karti Chidambaram.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 15, 2017
पी चिदंबरम ने एक ट्विट में कहा, निराश सीबीआई गलत सूचना प्रसारित कर रही है. एयरसेल-मैक्सिस में एफआईपीबी के अधिकारियों ने सीबीआई के सामने बयान दर्ज किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि मंजूरी वैध था.
Sad CBI spreading misinformation. In Aircel-Maxis, FIPB officials have recorded statements before CBI that approval given was valid.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 15, 2017
एक विशेष अदालत में दायर सीबीआई के एक आरोपपत्र के मुताबिक, मैक्सिस की सहायक कंपनी मॉरीशस स्थित मैसर्स ग्लोबल कम्युनिकेशन सर्विसेज होल्डिंग्स लिमिटेड ने एयरसेल में 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर निवेश करने की मंजूरी मांगी थी. (मौजूदा विनिमय दर के आधार पर यह 5,127 करोड़ रूपया होता है.)
आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) इसकी मंजूरी देने के लिये सक्षम थी.
एजेंसी ने 2014 में कहा था, हालांकि, वित्त मंत्री ने मंजूरी दी थी. तत्कालीन वित्त मंत्री द्वारा मंजूरी दिये जाने को लेकर एफआईपीबी (विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड) की परिस्थितयों के आधार पर आगे की जांच की जाएगी. इससे जुड़े हुये मामले की भी जांच की जा रही है.
भाजपा नेता सुब्रामण्यम स्वामी ने दावा किया था कि पूर्व वित्त मंत्री ने समझौते के लिए एफआईपीबी को मंजूरी दी थी जिसे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले सीसीईए को भेजा जाना चाहिए था क्योंकि 600 करोड़ रूपये से अधिक के विदेशी निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी देने का अधिकार सिर्फ इसी समिति को था.
इस मामले के सिलसिले में 2014 में एजेंसी के समक्ष पेश होने वाले पी चिंदबरम ने इस साल एक बयान में कहा था कि एफआईपीबी का अनुमोदन की मंजूरी सामान्य कामकाज में दी गयी थी.
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