मंडेला थे एक अजीम शख्सियत: प्रधानमंत्री

Last Updated 06 Dec 2013 04:03:50 PM IST

नेल्सन मंडेला को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें एक ऐसी ‘अजीम शख्सियत’ बताया जो अत्याचार और अन्याय के खिलाफ लड़ने वालों के लिए उम्मीद की एक ज्योति थे.


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (फाइल फोटो)

रंगभेद के खिलाफ लड़ने में अपना जीवन समर्पित कर देने वाले इस महान नेता के निधन पर शोक जताते हुए सिंह ने कहा कि मंडेला के जाने से जितनी क्षति दक्षिण अफ्रीका को हुई है, उतनी ही क्षति भारत और बाकी विश्व को भी हुई है.

अपने शोक संदेश में सिंह ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के निधन पर मुझे गहरा दुख है.’’

मंडेला के महान व्यक्तित्व के लिए सिंह ने किसी अज्ञात कवि की अंग्रेजी में लिखी कविता की पंक्तियां बोलीं, जिनका अर्थ था कि ‘‘यहां और वहां अब और तब ईश्वर इंसानों के बीच ऐसी अजीम शख्सियत बनाता है.’’ मंडेला ऐसे ही थे.

प्रधानमंत्री ने कहा कि मंडेला ने न केवल सिर्फ विश्व की चेतना का ही प्रतिनिधित्व किया, बल्कि वे अत्याचार और अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने वाले लोगों के लिए तब तक उम्मीद की ज्योति बने रहे, जब तक उनके अपने लोगों ने ऐसी बुराईयों पर विजय नहीं पा ली.

उन्होंने कहा, ‘‘मंडेला ने निजी तौर पर बड़ी कठिनाईयां झेलीं ताकि दूसरे लोगों को सम्मान, समानता और अवसर मिल सकें. वे भेदभाव और अमानवीय बहिष्कार के खिलाफ लड़े लेकिन इन बंटवारों से ऊपर उठकर एक बिखरे हुए देश में सामंजस्य स्थापित किया. उनके जीवन और कार्यों ने उन्हें एक वैश्विक नागरिक बना दिया.’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत उनके लिए खास प्रेम और सम्मान रखता है. उनका अभियान हमारे यहां भेदभाव के खिलाफ सैद्धांतिक संघर्ष के लिए महान प्रेरणा और नैतिक आवरण बना. इसने हमें एक बेहतर दुनिया की हमारी उम्मीद की तस्वीर भी दिखाई और उनके द्वारा भारत का शीर्ष नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ स्वीकार किए जाने पर हमने बहुत सम्मानित महसूस किया.’’

उन्होंने कहा कि भारत उन्हें खोने के शोक में दक्षिण अफ्रीका और विश्व के साथ है. सिंह ने कहा, ‘‘लेकिन हम जानते हैं कि उनका जीवन और आदर्श आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे.’’



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