भारत में मंडेला के सम्मान में पांच दिन का राजकीय शोक
भारत सरकार ने नेल्सन मंडेला के सम्मान में पांच दिन के राजकीय शोक का शुक्रवार को ऐलान किया.
भारत में मंडेला के सम्मान में पांच दिन का राजकीय शोक (फाइल फोटो) |
इस आशय का फैसला केन्द्रीय मंत्रिमंडल की विशेष बैठक में किया गया. मंत्रिमंडल ने रंगभेद के खिलाफ लडाई लडने वाले इस महानायक को श्रद्धांजलि दी.
बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि मंडेला सिर्फ अपनी पीढी के लिए ही नहीं बल्कि अब तक की सभी मिसालों में सबसे कद्दावर नेता थे. रंगभेद समाप्त करने में उन्होंने निजी तौर पर जो भूमिका निभायी, वह अतुलनीय है.
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उन्होंने कहा कि 27 साल से अधिक अवधि तक जेल में रहे दक्षिण अफ्रीका के इस नेता ने दुनिया को नैतिक नेतृत्व देने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.
तिवारी ने कहा कि मंडेला के निधन पर पूरा देश दक्षिण अफ्रीका की शोकाकुल जनता के साथ है.
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक हुई. इसमें डा. नेल्सन मंडेला के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया और तय किया गया कि पांच दिन का राजकीय शोक रखा जाएगा.
मंडेला के निधन पर दुनिया भर में शोक की लहर
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को खत्म करने में अग्रणी भूमिका निभा कर दुनिया भर में अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन चुके नेल्सन मंडेला ने ना सिर्फ पूरे अफ्रीकी महाद्वीप को बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों को भी स्वतंत्रता की भावना से ओत-प्रोत किया था.
अपनी जिंदगी के स्वर्णिम 27 साल जेल की अंधेरी कोठरी में काटने वाले मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे जिससे देश पर अब तक चले आ रहे अल्पसंख्यक श्वेतों के अश्वेत विरोधी शासन का अंत हुआ और एक बहु-नस्ली लोकतंत्र का उद्भव हुआ.
नेल्सन मंडेला की अद्धुत जीवन गाथा
मंडेला महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों, विशेषकर वकालत के दिनों में दक्षिण अफ्रीका के उनके आंदोलनों से प्रेरित थे. मंडेला ने भी हिंसा पर आधारित रंगभेदी शासन के खिलाफ अहिंसा के माध्यम से संघर्ष किया.
उनकी अद्भुत जीवन गाथा से उनके असाधारण वैश्विक अपील का पता चलता है. दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदी शासन के खिलाफ मंडेला की लड़ाई को भारत में अंग्रेजों के शासन के खिलाफ गांधी की लड़ाई के समान समझा जाता है.
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