नक्सलियों ने बढ़ाई उगाही की दरें

Last Updated 29 May 2013 12:12:30 AM IST

किसी जमाने में सामाजिक शोषण के खिलाफ मुकाबला करने के लिए शुरू की गई नक्सल मुहिम को अब कमाई का चस्का लग चुका है.


नक्सलियों ने बढ़ाई उगाही की दरें

किसी जमाने के मूवमेंट ने अब संगठित आपराधिक गिरोह का रूप ले लिया है. इसके जिम्मे फिरौती, अपहरण, उगाही और हत्या जैसे काम करने रह गए हैं.

खुफिया विभाग के अनुसार नक्सलियों का खर्च लगभग चार हजार करोड़ रुपए हो गया है. इसके बड़े हिस्से की आपूर्ति झारखंड और छत्तीसगढ़ से हो रही है. नक्सलियों ने बढ़ हुए खर्च की भरपाई के लिए उगाही की दरें बढ़ा दी हैं. खुफिया सूत्रों के अनुसार संगठित अपराध का रूप ले चुके नक्सल का उद्देश्य अब पुराने नक्सल से विपरीत है. पुराने और नए नक्सल की मुहिम अलग-अलग धुरी पर है.

चार हजार करोड़ रुपये तक पहुंचा नक्सलियों का सालाना खर्च

\"\"जहां पुराने नक्सल की मुहिम का उद्देश्य सामाजिक उत्पीड़न, शोषण और जमींदारी प्रथा के खिलाफ था, वहीं अब इसका उद्देश्य फिरौती करना, अपहरण करना और उगाही का कारोबार करना हो गया है. खुफिया सूत्रों के अनुसार उसके हाथ लगी नक्सली किताब में इस बात का जिक्र किया गया है कि जहां पांच से सात साल पहले नक्सलियों का खर्च 14 सौ करोड़ रुपए था, वहीं अब महंगाई के कारण वह बढ़कर लगभग साढ़े तीन से चार हजार करोड़ रुपए तक हो गया है.

इसकी भरपाई फिरौती, उगाही और अपहरण जैसे मामलों से होती है. खुफिया सूत्रों के अनुसार खुफिया विभाग के हत्थे चढ़े मिसिर बिरसा ने 2007 में खुलासा किया था कि नक्सली का कुल खर्च लगभग 12 सौ करोड़ है, जिसमें 150 करोड़ रुपए हथियार और विस्फोटक सामग्री पर खर्च किया जाता है, वहीं लगभग 50 करोड़ रुपए परिवहन, खुफियागीरी और प्रशिक्षण पर दिया जाता है.

मिसिर ने इस बात का भी जिक्र किया था कि नक्सली परिवार के रखरखाव के लिए लगभग 300 करोड़ रुपए और स्वास्थ्य के लिए 50 करोड़ रुपए खर्च होते हैं. सूत्रों के अनुसार उस समय रकम की सबसे अधिक आपूर्ति झारखंड राज्य के नक्सलियों द्वारा की जाती थी. ये नक्सली छत्तीसगढ़ से खनन आदि के द्वारा लगभग 400 करोड़ रुपए और बिहार एवं उड़ीसा के द्वारा लगभग 250 करोड़ रुपए देते थे.

बढ़े खर्च से निपटने के लिए नक्सलियों ने निकाली तरकीब

सूत्रों के अनुसार नक्सली किताब में इस बात का जिक्र किया गया है कि आज के समय में खर्च की कमी से नक्सल आंदोलन गुजर रहा है इसलिए उनको हत्या, अपहरण और फिरौती पर जोर देना होगा. नक्सली किताब में लिखा हुआ है कि आज के समय नक्सलियों को सबसे अधिक खतरा सुरक्षाबलों और कुछ नेताओं से है इसलिए खर्च बढ़ाना होगा. किताब में इस बात का जिक्र किया गया है कि दंडकारण्य के कमांडर चीफ ने निर्देश दिया है कि अब सरकार और निजी व्यावसायियों के हर कदम पर अपनी उगाही की फीस भी बढ़ा दी जाए. पक्का रोड के निर्माण और रखरखाव के लिए अब पांच फीसद नहीं, बल्कि 15 फीसद लेवी चार्ज के रूप में वसूली जाए और ब्लाक स्तर पर सरकार द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्य के तहत निर्माण होने वाली कच्ची सड़कों पर उगाही चार्ज चार से बढ़ाकर 10 फीसद किया जाए.

सूत्रों के अनुसार नक्सली कमांडरों ने जो नया चार्ट अपने एरिया कमांडर को भेजा है, उसमें इस बात का जिक्र है कि बड़े और छोटे पुल और चैक डैम का उगाही चार्ज तीन से बढ़ाकर नौ फीसद किया जाए.

सूत्रों के अनुसार नक्सलियों ने अपने खर्च की पूर्ति के लिए सिंचाई प्रोजेक्ट पर भी अपनी उगाही की कीमत तय की है, लेकिन यह लचीला है. एरिया कमांडरों को कहा गया है कि किसानों को देखते हुए सिंचाई प्रोजेक्ट पर अपने हिसाब से कीमत तय करें. इस बात का ध्यान रखा जाए कि स्थानीय लोग उससे परेशान न हों.

सूत्रों के अनुसार नक्सलियों के नए उगाही चार्ट के मुताबिक सरकार द्वारा बनाए जा रहे भवन, कम्युनिटी सेंटर, आंगनबाड़ी भवन और लिंक रोड पर उगाही चार्ज पांच से बढ़ाकर 10 फीसद कर दिया गया है. इसी तरह रेलवे ट्रैक बिछाने, उसके रखरखाव पर उगाही चार्ज चार से बढ़ाकर छह फीसद कर दिया गया है, लेकिन स्क्रैप नीलामी पर इसकी उगाही कीमत आठ से बढ़ाकर 15 फीसद कर दी गई है.

सूत्रों के अनुसार नक्सलियों ने हाथ से पत्थर तोड़ने की की उगाही चार्ज पांच हजार से बढ़ाकर 12 हजार और मशीन द्वारा क्रैशर पर आठ हजार से बढ़ाकर 20 हजार कर दिया है. ईट-भट्ठा मालिकों को अब नए उगाही रेट के अनुसार प्रत्येक चिमनी 30 हजार रुपए देने होंगे, जो पहले 18 हजार होता था. रेत खनन के मामले में दो लाख रुपए प्रति वर्ष की लीज पर लिया जाएगा.

पेट्रोल पंप, पत्थर पहाड़ मालिकों को प्रति तीन लाख रुपए प्रति वर्ष देना होगा और बाक्साइड खनन मालिकों को अब 30 रुपए प्रति टन और मध्यम वाले को 15 रुपए प्रति टन के हिसाब से भुगतान करना होगा.

कुणाल
एसएनबी


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