अब पेयजल के लिए अलग मंत्रालय

Last Updated 13 Jul 2011 12:00:49 AM IST

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तेजी से कम हो रहे इस कीमती संसाधन पेयजल एवं स्वच्छता के लिए एक अलग मंत्रालय का गठन किया.


मुम्बई के नेता गुरदास कामत को इस मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है.

कामत पूर्व गृह राज्यमंत्री हैं. अब वह ग्रामीण विकास मंत्रालय से अलग हुए पेयजल एवं स्वच्छता के स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री होंगे.

कामत ने हालांकि मंगलवार शाम केंद्रीय मंत्रिपरिषद छोड़ने की बात कही. बताया जाता है कि वह महत्वपूर्ण मंत्रालय न मिलने से नाराज हैं.

दक्षिण दिल्ली में लोधी रोड पर स्थित पर्यावरण भवन में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का पहले से ही एक अलग कार्यालय है.

पेयजल की भारी कमी देश में संकट बनती जा रही है. मुख्य रूप से जमीनी जल स्रोतों के सूखने की वजह से ऐसा हो रहा है. ग्रामीण व शहरी इलाकों में शक्तिशाली पम्पिंग मशीनों के  इस्तेमाल से जमीन के नीचे का पानी खींचने से तेजी से इसकी कमी हो रही है.

स्वच्छता भी देश की और खासकर ग्रामीण इलाकों की एक महत्वपूर्ण समस्या है. हमारे देश में पानी और स्वच्छता के क्षेत्र में निवेश अंतर्राष्ट्रीय मानकों से काफी कम है हालांकि 2000 के दशक के दौरान इसमें निवेश बढ़ा है.

साल 2008 में आई यूनिसेफ की एक रपट के मुताबिक भारत में 88 प्रतिशत आबादी की जल स्रोतों तक पहुंच है लेकिन 31 प्रतिशत आबादी को ही स्वच्छता की बेहतर स्थितियां मिल पाती हैं.
 



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