भोपाल गैस त्रासदी में रोज़ नए खुलासे

Last Updated 10 Jun 2010 04:52:00 PM IST

भोपाल गैस त्रासदी के मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। त्रासदी के समय भोपाल में सीएमओ रहे डीके सत्पथि ने खुलासा किया है कि उस वक्त पूरी सरकार एंडरसन को बचाने में लगी थी, साथ ही सीबीआई पर भी भारी दबाव था।और इन्हीं कारणों से एंडरसन देश छोड़ने में कामयाब रहा।


सहारा समय एक्सक्लूसिव


दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना कहे जाने वाले इस कांड में 15 हज़ार 274 लोग काल के गाल में समा गए।
सहारा समय मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ चैनल की पड़ताल से साफ हो गया है कि इस त्रासदी के जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन एंडरसन को सोंची समझी नीति के तहत देश से सुरक्षित जाने दिया गया।

हमारे सहयोगी चैनल के हाथ लगी वीडियो से स्पष्ट है कि भोपाल में एंडरसन को लाल बत्ती वाली सरकारी एम्बेसडर गाड़ी से एयरपोर्ट पहुँचाया गया जिसे उस समय के एसपी खुद ड्राइव कर रहे थे। यानी की जिन अफसरों को एंडरसन को सलाखों के पीछे डालने की जिम्मेदारी थी वही उन्हें सुरक्षित रास्ता दे रहे थे।

मुख्यमंत्री या तत्कालनी सरकार के दबाव में एंडरसन को सुरक्षित भोपाल हवाइ अड्डे पर पहुँचाया गया. गाड़ी सीधे रनवे पर खड़े विमान के पास पहुँचा।

यानी एंडरसन भोपाल गैस कांड के चार दिनों बाद भोपाल से भागा नहीं था बल्कि पूरे राजकीय सम्मान के साथ एयरपोर्ट पहुँचाया गया था. एयरपोर्ट पर पहले से ही सरकारी विमान उसे दिल्ली ले जाने के लिए खड़ा था।

अगर उस समय मिली तस्वीरों पर नजर डालें तो ये गवाह हैं कि एंडरसन की पैठ भोपाल से लेकर दिल्ली तक किस कदर सत्ता प्रतिष्ठान में फैली थी जिसका वो फायदा उठाता रहा और गैस पीड़ित अपने और अपनों की दर्द से बिलखते रहे।

चौंकाने वाले तथ्य

इस बीच गैस कांड में नित नए खुलासे हो रहे हैं।

अर्जुन सिंह की संस्था चुरहट चिल्ड्रेन वेलफेयर सोसायटी नें यूनियन कार्बाइड से एक लाख 50 हज़ार रुपए का फंड लिया था।

भोपाल के तत्कालीन सीएमओ बीके सत्पथी ने सहारा समय मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ चैनल पर यह कहकर सबको चौंका दिया कि तत्कालीन सरकार एंडरसन को बचाने में लगी थी।

सत्पथी ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए साफ किया है कि गैस कांड में मरने वाले लोगों के शरीर पर जिन 22 रासायनों के अंश पाए गए वो सभी यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री के 610 नंबर टैंक में भी पाए गए थे।
डॉ सत्पथी के मुताबिक यूनियन कार्बाइन कारखाने के डॉक्टर एलडी लोया को भी जानकारी नहीं थी कि कारखाने में एमआईजी नाम की जहरीली गैस बनायी जा रही है, जिससे हाजारों जिंदगियां तबाह कर सकती है।

डॉ सत्पथी यह भी खुलासा किया कि गैस रिसाव के बाद जब पीड़ितों को अस्पताल लाया जाने लगा तो उन्होंने यूनियन कार्बाइट के डॉक्टर एल डी लोया से बात की। तब डॉक्टर लोया ने यह कहकर चौंका दिया कि उन्हें नहीं मालूम कि फैक्ट्री में कौन सी गैस बनायी जा रही है। इस बात की जानकारी उन्हें भी नहीं दी गयी है।

डॉ सत्पथी ने यह भी कहा कि गैस त्रासदी के बाद अधिकारियों और नेताओं ने जानबूझ कर ये बातें फैलाई कि हादसे में मरने वालों की संख्य कुछ खास नहीं है और कोई गंभीर या चिंता की बात नहीं है।

सत्पथी ने यह भी कहा है कि जानबूझकर अमेरिकी अदालत में कमजोर सबूत पेश किए गये। नतीजतन अमेरिकी कोर्ट ने मामला खारिज कर दिया।

सत्पथी ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले में आरोपियों पर धारा 304 (A) लगाने पर भी सवाल उठाया है।

उनका कहना है कि उस वक्त पूरी सरकार एंडरसन को बचाने में लगी थी। साथ ही सीबीआई भी इस मामले में बेहद दबाव में थी जिसके कारण एंडरसन देश छोड़ने में कामयाब रहा. साथ ही उस वक्त एंडरसन को भोपाल से दिल्ली लाने वाले पायलट हासन अली ने बताया कि किस तरह उन्हें एंडरसन को दिल्ली लाने का आदेश मिला और किस तरह उन्होंने आदेश का पालन किया।

इस बीच तत्कालीन नागर विमानन डायरेक्टर आरपी संधू ने भी साफ कहा है कि उस समय मुख्यमंत्री निवास से उन्हें विमान तैयार रखने का निर्देश मिला था जिसका उन्होंने पालन किया।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment