चमत्कारी भादवा माता मंदिर, जहां हमेशा जलती है ज्योति
भादवा माता की मूर्ति के सामने चमत्कारिक ज्योति जलती रहती है. यह कई बरसों से बिना रुके लगातार जलती जा रही है.
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मां का हर रूप कल्याणकारी होता है. वे हर रूप में अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं. मां तो आखिर मां ही होती है, चाहे वह किसी रूप में किसी कुल में अवतरित हुई हो. मां से तात्पर्य शक्ति का स्वरूप, जो अपने अलग-अलग रूपों में प्रकट होकर भक्तों के दुख दूर करती है. माता का हर रूप चमत्कारी और मनोहारी होती है. हमारे देश में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं, जहां माता चमत्कारी मूर्ति के रूप में विराजमान हैं.
मध्य प्रदेश के नीमच शहर से लगभग 18 किमी की दूरी पर स्थित है-भादवा माता मंदिर. यहां भादवा माता सुंदर चांदी के सिंहासन पर बैठी हैं. मूर्ति के सामने चमत्कारिक ज्योति जलती रहती है. यह कई बरसों से बिना रुके लगातार जलती जा रही है.
भक्तों को आशीर्वाद देकर निरोगी बनाती मां
कहते हैं, भादवा माता रोज मंदिरों का फेरा लगाती हैं. वह अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर निरोगी बनाती हैं इसलिए दूर-दूर से मां के भक्त मंदिर के सामने ही विश्राम कर रात गुजारते हैं. लोगों का ऐसा विश्वास है कि माता के आशीर्वाद से लकवा, नेत्रहीनता, कोढ़ आदि से ग्रस्त रोगी निरोगी होकर घर जाते हैं.
भादवा माता के मंदिर के पास एक पुराना तालाब है, जिसके बारे में वहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि जब से यह मंदिर है, तभी से यह तालाब भी है. इस तालाब का जल अमृत समान है, इस चमत्कारी जल में नहाने से शरीर की सभी बीमारी दूर हो जाती है.
भादवा माता की आरती में जानवर
लोगों को जानकर आश्चर्य होगा कि जब भादवा माता की आरती होती है, तब यहां मुर्गा, कुत्ता, बकरी आदि सभी जानवर बड़ी तल्लीनता से माता की आरती में शामिल होते हैं. आरती के समय मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ के साथ मुर्गे और बकरियां भी घूमती नजर आती हैं.
ये जानवर कहां से आते हैं, इसके लिए एक और रोचक बात है. लोगों का मानना है कि मंदिर में लोग मन्नतें मानते हैं और जब मुराद पूरी हो जाती है तो मन्नतों के अनुसार लोग इस मंदिर में जिंदा मुर्गे और बकरी छोड़ जाते हैं.
इसके अलावा, चांदी और सोने की आंख और हाथ भी माता को चढ़ाए जाते हैं. माता अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करती. यहां अमीर हो या गरीब, इंसान हो या जानवर-सभी मंदिर परिसर में मां की मूर्ति के सामने रात में विश्राम करते हैं और एक साथ मिलकर माता का गुणगान करते हैं.
हर वर्ष चैत्र और कार्तिक माह के नवरात्र पर यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं. कुछ भक्त नंगे पैर माता के दरबार में हाजिरी लगाते हैं. नवरात्र पर विशेष रूप से मां भादवा के धाम तक की कई बसें भी चलाई जाती है.
दर्शनीय स्थल-
भगवान विष्णु का नव तोरड़ मंदिर भी यहां का आकर्षक केंद्र है. यहां भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा स्थापित है. इसके अलावा नीमच से लगभग 25 किमी की दूरी पर सुखानंद महादेव और कृष्णा महल नजदीकी दर्शनीय स्थल है. आंतरी माता मंदिर, जोगनिया माता मंदिर, कोटा का जग मंदिर, भीमताल टैंक, चित्तौड़गढ़ किला आदि यहां के दर्शनीय स्थल हैं.
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