कोरोना के खौफ से उबरे भी नहीं थे कि एमपॉक्स ने दुनिया को डराना शुरू कर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी भी जारी कर दी है।
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भारत के करीब पाकिस्तान में भी इसने दस्तक दे दी है। वायरस ने सबसे ज्यादा कहर डीआरसी और अफ्रीका में बरपाया है। स्वीडन में भी मरीज मिला है तो वहीं साउथ कोरिया में भी इस साल 9 अगस्त तक 10 मरीज डिटेक्ट हुए हैं। जिस गति से ये बढ़ रहा है उसने लोगों को डरा दिया है। तरह-तरह के सवाल दिमाग में कौंधने लगे हैं।
क्या होते हैं लक्षण और कौन सी सावधानियां बरती जा सकती हैं? इस बारे में आईएएनएस ने दिल्ली स्थित सीके बिड़ला अस्पताल (आर) के इंटरनल मेडिसिन डिर्पाटमेंट के लीड कंसल्टेंट डॉ नरेंद्र सिंघला से बात की।
डॉ. नरेंद्र सिंघला कहते हैं एमपॉक्स यानि मंकीपॉक्स एक दुर्लभ और संक्रामक बीमारी है, जो वायरस के कारण होती है। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और त्वचा पर दाने या फुंसियां शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक यह वायरस त्वचा या यौन संपर्क या श्वसन बूंदों द्वारा भी फैलता है। इस प्रकोप ने मुख्य रूप से उन पुरुषों को प्रभावित किया है जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखते हैं।
डॉ के मुताबिक कुछ सावधानियों से इससे बचा जा सकता है। सबसे पहले तो संक्रमण ग्रसित शख्स के संपर्क में आने से बचें। स्वच्छता का ध्यान रखें। हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं। मास्क पहनें और फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखें। संक्रमित व्यक्ति के उपयोग की गई सामग्रियों को सावधानी से साफ करें और यदि लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
डॉ. सिंघला के मुताबिक इसका उपचार संभव है। इलाज के तौर पर एंटीवायरल दवाएं दी जाती हैं। जरूरी ये है कि हम इस बीमारी के प्रति जागरूक रहें और सावधानियां बरतें, ताकि इसको फैलने से रोका जा सके।
डब्ल्यूएचओ ने एमपॉक्स के लिए वर्तमान में दो टीकों को मंजूरी दी है। इसे संगठन के टीकाकरण विशेषज्ञों के रणनीतिक सलाहकार समूह द्वारा की गई है, और इन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सूचीबद्ध राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ-साथ नाइजीरिया और डीआरसी सहित अलग-अलग देशों द्वारा भी अनुमोदित किया गया है।
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