डब्ल्यूबीसी के पीछे छिपते हैं एचआईवी जीनोम
वैज्ञानिकों ने मोनोसाइट यानी सफेद रक्त कोशिकाओं (डब्ल्यूबीसी) के प्रसार में एचआईवी जीनोम पाए जाने की संभावना के नए साक्ष्य मिलने का दावा किया है, जिससे ऐसी जगहों की पहचान की जा सकती है जहां उपचार को लक्षित किया जा सकता है।
डब्ल्यूबीसी के पीछे छिपते हैं एचआईवी जीनोम |
ये मोनोसाइट अल्पकालिक प्रसार वाली प्रतिरक्षा कोशिकाएं हैं जो वायरस, बैक्टीरिया और अन्य बाह्य कोशिकाओं को निगलती और नष्ट करती हैं।
मोनोसाइट को पड़ोसी कोशिकाओं को संक्रमित करने में सक्षम पाया गया। अध्ययन की अग्रणी लेखक और ‘जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन’ में प्रोफेसर जेनिस क्लेमेंट्स ने कहा, हमारे नतीजे बताते हैं कि हमें इस बीमारी में उनकी भूमिका को समझने के लिए शोध के प्रयासों को जारी रखना चाहिए।
शोध पत्रिका ‘नेचर माइक्रोबायोलॉजी’ में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि वैज्ञानिकों की टीम ने लंबे समय तक पुरुषों और महिलाओं के एचआईवी संक्रमित रक्त के नमूनों पर अध्ययन किया।
अध्ययन के अनुसार, मौजूदा एंटीरेट्रोवायरल दवाएं, एचआईवी को लगभग ऐसे स्तरों तक सफलतापूर्वक दबा सकती हैं जिससे वे उजागर न हों, लेकिन इसके परिणामस्वरूप वायरस का पूर्ण उन्मूलन नहीं हुआ है। यह ज्ञात है कि एचआईवी सीडी 4अ प्रकार की प्रतिरक्षा टी-कोशिकाओं में अपने जीनोम को छिपाता है।
‘जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन’ में सहायक प्रोफेसर रेबेका वीनहुइस ने कहा, एचआईवी उन्मूलन की दिशा में, लक्ष्य उन कोशिकाओं के लिए बायोमार्कर खोजना है जो एचआईवी जीनोम को आश्रय देते हैं और उन कोशिकाओं को खत्म करते हैं।
वैज्ञानिकों ने 2018 और 2022 के बीच एचआईवी से पीड़ित 10 पुरुषों के रक्त के नमूने लिए, जो सभी मानक एंटीवायरल दवा ले रहे थे। क्लेमेंट्स ने कहा कि परिणामों से पता चलता है कि मोनोसाइट एचआईवी का स्थिर रूप से पनाहगाह हो सकता है।
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