बच्चों में कैंसर का इलाज काफी हद तक संभव
बच्चों में कैंसर का इलाज काफी हद तक संभव होता है। हालांकि इसके लिए जनरल फिजिशियन और पीडियाट्रिशियन के बीच जागरूकता आवश्यक है।
बच्चों में कैंसर का इलाज काफी हद तक संभव |
यह बात राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी), दिल्ली के वार्षिक सम्मेलन आरजीकॉन 2023 की आयोजक अध्यक्ष डॉ. गौरी कपूर ने कही।
इस मौके पर यहां आयोजित कार्यशाला में बड़ी संख्या में पीडियाट्रिशियन और जनरल फिजिशियन के लिए बच्चों में कैंसर के शुरु आती लक्षणों को पहचानने और आवश्यक जांच करने के बारे में जागरूक करने के लिए सत्र आयोजित किया गया।
आरजीसीआई में बाल चिकित्सा हेमेटोलॉजी, ओंकोलॉजी एवं बीएमटी विभाग की डायरेक्टर डॉ. कपूर ने कहा, इस बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है कि बच्चों में होने वाले कैंसर का इलाज किया जा सकता है यदि समय पर जांच हो जाए और स्पेशलाइल्ड चाइल्डहुड कैंसर केयर सेंटर में इलाज किया जाए।
टाटा मेडिकल सेंटर कोलकाता के पीडियाट्रिक ओंकोलॉजी में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. वास्कर साहा ने सभी प्रतिभागियों से कैंसर पीड़ित बच्चों के इलाज के मामले में भारत को सबसे आगे लाने की चुनौती स्वीकारने की अपील की। इस ऊंचे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी संबंधित पक्षों का सहयोग आवश्यक है। उन्होंने स्वास्थ्य के अधिकार को एक मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकारने और देश में कैंसर से पीड़ित सभी बच्चों के लिए समान देखभाल की व्यवस्था करने की भी वकालत की।
आरजीसीआई के सीईओ डी एस नेगी ने कहा कि बच्चों के कैंसर की जांच एवं इलाज की तरह ही उनके मानिसक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। कोविड-19 महामारी के कारण कई बच्चों के इलाज में देरी हुई है या वे इलाज से चूक गए हैं। महामारी के कारण आइसोलेशन और तनाव ने बच्चों के मानिसक स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव डाला है।
आरजीसीआई के अध्यक्ष राकेश चोपड़ा ने कहा कि अध्ययनों से पता चलता है कि बचपन में कैंसर का सामना कर चुके लोगों में बहुत संवेदनशीलता होती है और वे जीवन को अलग तरीके से देखते हैं। हर साल दुनियाभर में कैंसर से पीड़ित 4 लाख बच्चों के मामले सामने आते हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत मामले निम्न और मध्यम आय वाले देशों के हैं, जहां प्राय: उपचार उपलब्ध नहीं हैं या अप्रभावी इलाज की व्यवस्था है, जिससे मात्र 30 प्रतिशत बच्चों का जीवन ही बचाना संभव हो पाता है। समय पर व सही इलाज से हम 80-90 प्रतिशत बच्चों को बचा सकते हैं।
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