इजराइली सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक सुधार को चुनौती देने वाले मामले की सुनवाई शुरू की
इजराइल के उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of Israel) ने देश के प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) के विवादास्पद न्यायिक सुधार कानून की वैधता पर गौर करने के लिए मंगलवार को इससे संबंधित पहले मामले पर सुनवाई शुरू की।
इजराइल उच्चतम न्यायालय |
इसी के साथ न्यायपालिका तथा देश की धुर दक्षिणपंथी सरकार के बीच तनातनी और बढ़ गई है, जिसने देश को एक संवैधानिक संकट के कगार पर खड़ा कर दिया है।
इस मामले की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगता है कि इजराइली उच्चतम न्यायालय के सभी 15 न्यायाधीश इस कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं। देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है।
नियमित पैनल में तीन न्यायाधीश होते हैं, बहरहाल कभी-कभी पैनल को विस्तार दिया जाता है।
इस मामले की सुनवाई का सीधा प्रसारण किया जा रहा है। हफ्तों या महीनों तक किसी फैसले की उम्मीद नहीं है, लेकिन सुनवाई अदालत के निर्देश का संकेत दे सकती है।
इस कानून को संसद ने जुलाई में पारित किया था। यह कानून ‘अनुचित’ समझे जाने वाले सरकारी फैसलों को रद्द करने की अदालत की शक्ति को छीनने की बात करता है।
यह कानून सत्तारूढ़ गठबंधन को अधिक शक्ति देने की नेतन्याहू सरकार की व्यापक योजना का हिस्सा है।
इससे पहले सोमवार को हजारों इजराइली प्रदर्शनकारी राष्ट्रध्वज लेकर उच्चतम न्यायालय के पास एकत्र हुए और उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
इजराइल के न्याय मंत्री यारिव लेविन ने मंगलवार को सुनवाई से पहले कहा कि न्यायालय के पास कानून की समीक्षा करने का ‘‘कोई अधिकार नहीं’’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र और नेसेट (इजराइली संसद) की स्थिति के लिए बड़ा झटका है।’’
लेविन ने जोर देकर कहा कि कानून के संबंध में अंतिम अधिकार जनता द्वारा चुने गए सांसदों का होना चाहिए।
वहीं, आलोचकों का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय को कमजोर करने वाली यह योजना इजराइली लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा दर्शाती है और यह सत्ता को नेतन्याहू तथा उनके सहयोगियों के हाथों में केंद्रित कर देगी।
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