अफगानिस्तान में पाक का रणनीतिक हित भारतीय प्रभाव का मुकाबला करना है: अमेरिकी विदेश मंत्रालय

Last Updated 21 Aug 2021 11:13:10 AM IST

अफगानिस्तान में पाकिस्तान के सामरिक सुरक्षा उद्देश्य लगभग निश्चित रूप से भारतीय प्रभाव का मुकाबला करना और पाकिस्तानी क्षेत्र में अफगान गृह युद्ध के अप्रत्यक्ष असर को कम करना है। एक अमेरिकी महानिरीक्षक ने रक्षा खुफिया एजेंसी से मिली जानकारियों का हवाला देते हुए यह बात कही है।


अमेरिकी विदेश मंत्रालय के महानिरीक्षक कार्यालय ने अफगानिस्तान पर अपनी नवीनतम तिमाही रिपोर्ट में कहा, “ अफगान तालिबान के साथ संबंध बरकरार रखते हुए पाकिस्तान ने शांति वार्ताओं को समर्थन देना जारी रखा हुआ है। रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए) के मुताबिक, अफगानिस्तान में पाकिस्तान के रणनीतिक सुरक्षा उद्देश्य लगभग निश्चित रूप से भारतीय प्रभाव का मुकाबला करना और पाकिस्तानी क्षेत्र में फैलाव को कम करना जारी रखना है।”

एक अप्रैल से 30 जून की तिमाही की रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तानी सरकार चिंतित है कि अफगानिस्तान में गृहयुद्ध का पाकिस्तान पर अस्थिर प्रभाव पड़ेगा, जिसमें शरणार्थियों की आमद और पाक विरोधी आतंकवादियों के लिए एक संभावित पनाहगाह प्रदान करना शामिल है।

प्रत्यक्षदर्शी सूत्रों के हवाले से मीडिया की खबरों के अनुसार इस तिमाही के दौरान, पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में अफगान तालिबान के लिए वित्तीय योगदान में वृद्धि हुई है। इसमें कहा गया है कि उकसावे के प्रयास परंपरागत रूप से मस्जिदों में होते थे, लेकिन अफगान तालिबान के आतंकवादी अब खुलेआम पास के पाकिस्तानी शहरों के बाजार इलाकों का दौरा करते हैं।

इसमें कहा गया, “आतंकवादी आमतौर पर दुकानदारों से 50 डॉलर या उससे अधिक के योगदान की याचना करते हैं। स्थानीय निवासियों ने संवाददाताओं को बताया कि क्वेटा, कुचलक बाईपास, पश्तून अबाद, इशाक अबाद और फारूकिया के कस्बों और शहरों में चंदा लेने के प्रयास अब आम बात हो गई है।”

रिपोर्ट के अनुसार, डीआईए ने मीडिया की खबरों का हवाला देते हुए कहा कि ईरान अफगानिस्तान से अमेरिका और गठबंधन सेना की वापसी का स्वागत करता है लेकिन अफगानिस्तान में इसके परिणामस्वरूप होने वाली अस्थिरता के बारे में ‘लगभग निश्चित रूप से’ चिंतित है। डीआईए के अनुसार, ईरान अफगान सरकार, तालिबान और सत्ता के दलालों के साथ संबंधों के माध्यम से भविष्य की किसी भी अफगान सरकार में प्रभाव का प्रयोग करना जारी रखेगा, लेकिन ईरान तालिबान के इस्लामी अमीरात की पुन: स्थापना का विरोध करता है।
 

भाषा
वाशिंगटन


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment