चीन मंगल मिशन के बाद एयरोस्पेस क्षेत्र में शक्तिशाली देश का निर्माण जारी रखेगा

Last Updated 15 May 2021 11:16:20 PM IST

चीन के सामाजिक मीडिया पर 15 मई को एक छोटी वीडिया ट्रेंडिंग बनी। इस वीडियो के अनुसार, इसी दिन की सुबह जब चीन के पहले मंगल रोवर चुरोंग (चीन के पौराणिक अग्नि और युद्ध के देवता) और चीन के मंगल प्रोब 'थ्येनवेन-1' लेकर चीनी अंतरिक्ष यान ने मंगल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड किया, तो चीन के मंगल अन्वेषण मिशन के मुख्य वास्तुकार जांगरोंग छ्यो की आखों में आंसू छलक आए।


चीन मंगल मिशन के बाद एयरोस्पेस क्षेत्र में शक्तिशाली देश का निर्माण जारी रखेगा

चीनी नेटिजनों ने सोशल मीडिया पर कहा कि जांगरोंग छ्यो ऐसे पिताजी की तरह दिखते हैं, जो अपने बच्चे का अच्छा परिणाम पाकर खुशी से रोया है। जांगरोंग छ्यो के दिल में चुरोंग और थ्येन आनवेन-1 बिल्कुल उनके जैविक बच्चों की तरह हैं।

उसी दिन चीनी राष्ट्रीय अंतरिक्ष ब्यूरो (सीएनएसए) ने एक बयान में बताया कि उसका रोवर 'नौ मिनट की कठिन यात्रा के बाद शनिवार को मंगल ग्रह पर सफलता पूर्वक उतर गया'। यह चीनी अंतरिक्ष यान की मंगल ग्रह की पहली यात्रा है। यह चीनी अंतरिक्ष यान 'लाल' ग्रह पर खरोंच के बिना सफलतापूर्वक उतर गया है। चीन ने पहली बार बहिग्र्रह पर सफल लैंडिंग पूरी की और मानव एयरोस्पेस के इतिहास में एक शानदार अध्याय लिखा। रोवर चुरोंग मंगल के यूटोपिया प्लेनीशिया समतल तक पहुंचा है, जो मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध का हिस्सा है। उतरने के बाद रोवर चुरोंग ने टेलीमेटरी संकेत सफलता पूर्वक भेजा है। चीन मंगल पर सफलतापूर्वक रोवर भेजनेवाला दुनिया का दूसरा देश बन गया है।



मंगल के अन्वेषण में बड़ी चुनौती व मुश्किल मौजूद है। थ्येनवन-1 मिशन में दूसरे ब्रह्मांडीय गति से टूटकर प्रक्षेपण, अंतरग्रहीय उड़ान और माप व नियंत्रण संचार, पृथ्वी को छोड़कर अन्य ग्रहों पर सॉफ्ट लैंडिंग जैसी प्रमुख तकनीक शामिल हुई हैं, जो चीन के अंतरिक्ष कार्य में एक मील का पत्थर बन गया है। एयरोस्पेस मौजूदा दौर में दुनिया भर सबसे चुनौतीपूर्ण और व्यापक रूप से संचालित होने वाले उच्च तकनीक क्षेत्रों में से एक है। यह देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रगति को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण इंजन भी है।

चीन ने अंतरिक्ष प्रक्रिया को बढ़ाने के दौरान अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष आवेदन आदि क्षेत्रों में व्यापक विकास किया है। चीन में एयरोस्पेस कार्यों से अंतरिक्ष भौतिकी, अंतरिक्ष खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष जीवविज्ञान आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बुनियादी सिद्धांत अनुसंधान को स्पष्ट रूप से बढ़ाया जाता है। साथ ही स्वचालित नियंत्रण, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक सूचना, परिशुद्धता विनिर्माण और नई सामग्री आदि उच्च तकनीक का तेजी से विकास करता है।

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने चीन के पहले मंगल अन्वेषण मिशन के लैडिंग कार्य की सफलता पर बधाईपत्र भेजा। इस पत्र में राष्ट्रपति ने कहा कि इंटरस्टेलर अन्वेषण परियोजना की दिशा में यह चीन का पहला कदम है कि चीन का रोवर 'थ्येनवेन-1' मंगल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक उतरा। इससे स्पष्ट है कि चीन न केवल पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली का अन्वेषण करता है, बल्कि अंतरग्रहीय अन्वेषण कर सकता है। यह इतिहास में पहली बार है कि मंगल ग्रह पर चीनी लोगों ने छाप छोड़ी है। यह चीन के अंतरिक्ष कार्य की प्रक्रिया में एक और मील का पत्थर है।

उन्होंने कहा कि चीन को तकनीकी स्वतंत्रता व आत्म-सुधार का पालन करना, ग्रह अन्वेषण आदि प्रमुख एयरोस्पेस परियोजनाओं को सावधानी से बढ़ाना और एयरोस्पेस क्षेत्र में शक्तिशाली देश के निर्माण को मजबूत करना चाहिए। इसीलिए वे ब्रह्मांड के रहस्यों का अन्वेषण और मानव शांति व विकास के लिए नया योगदान दे सकेंगे।

परिचय के अनुसार, मंगल रोवर चुरोंग का वजन करीब 240 किलोग्राम है, उसमें छह पहिए और चार सौर पैनल हैं तथा वह प्रतिघंटे 200 मीटर तक घूम सकता है। इसमें छह वैज्ञानिक उपकरण हैं, जिनमें बहु-वर्णीय कैमरा, रडार और एक मौसम संबंधी मापक है। इसके मंगल ग्रह पर करीब तीन महीने तक काम करने की संभावना है। एकऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर लेकर गए अंतरिक्ष यान 'तिआनवेन-1' का प्रक्षेपण 23 जुलाई, 2020 को किया गया था।

सौरमंडल में और अन्वेषण के मकसद से एक मिशन में ही ऑर्बिटिंग (कक्षा की परिक्रमा), लैंडिंग और रोविंग पूरा करने के उद्देश्य से मंगल ग्रह पर पहुंचने की दिशा में यह चीन का पहला कदम है।

आईएएनएस
बीजिंग


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