म्यांमार के दूत ही तख्तापलट के खिलाफ
संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार के स्थाई प्रतिनिधि क्यॉ मो तुन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के समक्ष अपने देश के सैन्य शासन की निंदा की है और घोषणा किया कि वह लोकतंत्र के लिए लड़ेंगे।
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उन्होंने सैन्य शासन को धता बताते हुए देश में तख्तापलट की निंदा की। संयुक्त राष्ट्र महासभा में म्यांमार की वर्तमान स्थिति को लेकर एक सत्र के दौरान उन्होंने कहा, हम एक ऐसी सरकार के लिए लड़ते रहेंगे, जो लोगों द्वारा, लोगों के लिए और लोगों की है। महासभा में उपस्थित राजनयिकों ने उनके भाषण की सराहना की।
म्यांमार की सैन्य सरकार ने इस महीने स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और अन्य नेताओं को जेल में डाल दिया था और नेशनल लीग ऑफ डेमोक्रेसी द्वारा जीता गया चुनाव अवैध घोषित कर दिया। बहरहाल, तुन ने महासभा के सत्र में कहा, उनकी निष्ठा आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार के प्रति है और वह लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित संसद सदस्यों की ओर से बोल रहे हैं। उन्होंने सैन्य तख्तापलट को तुरंत समाप्त करने, निर्दोष लोगों पर अत्याचार बंद करने, लोगों को राज्य की सत्ता वापस करने और लोकतंत्र को बहाल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सबसे सख्त संभव कार्रवाई करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, सेना के लिए यह तुरंत सत्ता छोड़ने और हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा करने का समय है। उन्होंने अपनी तीन उंगलियां एक सलामी में उठाईं, जो म्यांमार के उन प्रदर्शनकारियों का प्रतीक बन गया है जो देश में लोकतंत्र की वापसी की मांग कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानेर बर्गेनेर ने एक वीडियो लिंक के माध्यम से महासभा को बताया, म्यांमार की स्थिति ‘नाजुक’ है और अभी तक यह स्थिर नहीं हो पाई है। सेना का अधिग्रहण केवल एक ‘तख्तापलट का प्रयास’ रहा और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ‘इस शासन को वैधता या मान्यता नहीं देनी चाहिए’।
प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई तेज
म्यामांर की पुलिस ने देश में तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई तेज कर दी है। दो प्रमुख शहरों में लोगों की गिरफ्तारी की गई है। म्यांमारसंकट ने शुक्रवार को उस वक्त नाटकीय मोड़ ले लिया जब संयुक्त राष्ट्र में देश के राजदूत ने बेदखल की गई आंग सान सू की सरकार के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी वफादारी घोषित की और संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सेना पर सत्ता छोड़ने का दबाव बनाने की अपील की। देश के दो सबसे बड़े शहरों यांगून और मांडले में कई गिरफ्तारियां की गई हैं। इन दोनों शहरों में प्रदर्शनकारी सू की की सरकार को बहाल करने की मांग करने के लिए रोजाना सड़कों पर उतर कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हैं। सू की की ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी‘ ने पिछले साल नवम्बर में हुए चुनाव में जबर्दस्त जीत दर्ज की थी। पुलिस जुंटा सरकार द्वारा पांच या अधिक लोगों के जमा होने पर लगाई गई रोक को लागू कर रही है।
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